
इस बार की कावड़ यात्रा पूरे 13 दिन चलेगी ।जो सावन के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से शुरू होगी।
कांवड़ यात्रा को ध्यान में रखते हुए मेरठ जिला प्रशासन ने खाद्य सुरक्षा के कड़े नियम लागू किए हैं । श्रावण मास के आरंभ और कांवड़ यात्रा के साथ ही ये नियम प्रभावी होंगे ।यात्रा के मार्ग पर आने वाले सभी होटलों और रेस्टोरेंट्स में मूल्य सूची (रेट लिस्ट) स्पष्ट रूप से लगानी होगी । इसके साथ ही, हभी खाने पीने की दुकानों को अपना लाइसेंस और मालिक का पहचान पत्र भी दिखाना होगा । इसके अतिरिक्त, फूड सेफ्टी सर्टिफिकेट और एक QR कोड भी अनिवार्य रूप से लगाना होगा। QR कोड स्कैन करके कांवड़िएदुकानों और रेस्टोरेंट के स्वामी और अन्य जानकारी प्राप्त कर सकेंगे । ये नियम कांवड़ियों को शुद्ध और सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किए गए हैं ।और इन नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन और खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी । और समय-समय पर नियमित रूप से जांच भी करवाई जाएगी।
2025 में कावड़ यात्रा 11 जुलाई शुक्रवार से शुरू हो रही है ।सावन मास में शुरू होने वाली कावड़ यात्रा सावन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर कृष्ण चतुर्दशी तक यानी सावन की शिवरात्रि तक चलती है ।
भगवान शिव की आराधना का बेहद शुभ महीना होता है श्रावण का महीना । ऐसी मान्यता है कि सावन में भोलेनाथ की पूजा करने से सुख समृद्धि और शांति आती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कावड़ यात्रा निकाली जाती है। यह एक पवित्र और महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा होती है । जिसमें भक्त पवित्र नदियों से जल भरकर शिव मंदिरों में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं । इस यात्रा की शुरुआत सावन माह के शुरुआत के साथ ही हो जाती है इस दौरान भोलेनाथ के भक्ति नंगे पैर चलकर तीर्थ स्थान पर कावड़ लेकर जाते हैं और कावड़ में पवित्र जल भरकर लाते है ।
क्यों करते हैं कावड़ यात्रा :
मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव के विषपान से उनका कंठ नीला पड़ गया था । उसके प्रभाव को कम करने के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है ।इसी तरह शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से शिवजी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।