कन्या भोज से बेटी बचाओ का संकल्प

कन्या पूजन: महत्व, सार्थकता और वर्तमान सामाजिक परिस्थितियाँ

भारत में कन्या पूजन एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें बालिकाओं को भोजन कराकर उनका पूजन किया जाता है। इस परंपरा में कन्याओं को दुर्गा देवी के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं, घर में मौजूद सभी तरह के दोष दूर होते हैं, और सुख-समृद्धि आती है। यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें कन्याओं का सम्मान करना सिखाता है।

कन्या पूजन के दौरान सात्विक भोजन ही खिलाना चाहिए और कन्याओं को स्वच्छ आसन पर बैठाकर उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजन के बाद यथा शक्ति दक्षिणा देकर कन्याओं से आशीर्वाद लेना भी आवश्यक माना जाता है। यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि हम सभी दिव्य शक्ति का हिस्सा हैं, इसलिए हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए। यह अनुष्ठान हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा, अच्छे विचार, और समानता की भावना को जागृत करता है।

2015 में भारत सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया, जिसका मुख्य उद्देश्य लड़कियों के प्रति समाज की सोच बदलना, लिंगानुपात को संतुलित करना और शिक्षा को प्रोत्साहित करना था। यदि कन्या पूजन की परंपरा को इस अभियान से जोड़कर देखा जाए, तो यह स्पष्ट संदेश देता है कि यदि हम लड़कियों को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा कर सकते हैं, तो उन्हें समान अधिकार, शिक्षा और सम्मान क्यों नहीं दे सकते? कन्या पूजन का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित न रहकर समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान, सुरक्षा और समानता की भावना को बढ़ावा देना होना चाहिए।

आज भी समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव और अन्याय देखने को मिलता है। कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, बाल विवाह, और शिक्षा में असमानता जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं। ऐसे में कन्या पूजन की परंपरा तभी सार्थक होगी जब यह केवल धार्मिक आयोजन न होकर महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में प्रेरित करे। लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है, क्योंकि केवल कन्या पूजन करने से नहीं, बल्कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अवसर देकर ही सशक्त बनाया जा सकता है। समाज को महिलाओं को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करना होगा और रूढ़िवादी सोच को त्यागना होगा।

कन्या पूजन की भावना को वास्तविक रूप देना आवश्यक है। इसे केवल एक प्रतीकात्मक अनुष्ठान न मानकर, लड़कियों के वास्तविक अधिकार और सम्मान को स्थापित करने के लिए कार्य करना होगा। महिलाओं को केवल देवी के रूप में नहीं, बल्कि रक्षक और पालनकर्ता के रूप में सम्मान देना जरूरी है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी सरकारी योजनाओं को हर तबके तक पहुँचाना और उनके सही क्रियान्वयन पर ध्यान देना भी आवश्यक है।

आज के परिवेश में कन्या पूजन की प्रासंगिकता और बढ़ गई है, क्योंकि यह हमें यह सिखाता है कि महिलाएँ केवल पूजनीय नहीं, बल्कि समाज के विकास और सुरक्षा की आधारशिला भी हैं। यदि हम वास्तव में कन्याओं को देवी का रूप मानते हैं, तो हमें उन्हें समान अवसर, सुरक्षा और शिक्षा प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाना होगा। तभी कन्या पूजन का वास्तविक उद्देश्य पूर्ण होगा और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को सही मायनों में सफलता मिलेगी l

Related Posts

ये होंगे भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष ! इस दिन लगेगी मुहर

10 राज्यों में भी बदला जाएगा भाजपा का संगठन, बदलाव की तैयारी तेज भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है. सूत्रों के…

दैनिक राशिफल: 12 जून 2025

आज का दिन आपके सितारों के हिसाब से मेष (Aries)आज का दिन ऊर्जा और उत्साह से भरा रहेगा। कार्यक्षेत्र में नए अवसर मिल सकते हैं। परिवार के साथ समय बिताने…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!