अनाथालय से जिसे गोद लिया, उस बेटे ने ही कर दी मां की हत्या! कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा!

24 जुलाई 2025: श्योपुर… ग्वालियर के एक अनाथालय से उषा पचौरी और उनके पति भुवनेंद्र पचौरी ने एक लड़के को गोद लिया था। लड़के का नाम दीपक रखा। भुवनेश पचौरी वन विभाग में वनपाल के रूप में कार्यरत थे। वह रिटायर हो चुके थे। 2021 में उनका निधन हो चुका था।
उषा देवी और उनके पति भुवनेश पचौरी ने दीपक को पढ़ाया लिखाया और बेटे की तरह पाला।

दीपक को अच्छी शिक्षा और परवरिश भी अच्छी मिली थी। जानकारी के अनुसार दीपक ने 12वीं कक्षा में 94 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। और दिल्ली में यूपीएससी की कोचिंग भी ली थी । किंतु ड्रग्स की लत लगने से घर लौट आया था और उषा देवी से हर समय पैसे मांगता रहता था। ड्रग्स की लत के कारण उसकी जीवन शैली बर्बाद हो गई थी और वह लापरवाह हो गया था । अभी पिछले कई वर्षों से वह काफी हिंसक भी हो गया था । बात-बात में मारपीट और बहस भी करता था।

पिता की मृत्यु के बाद रिटायरमेंट का सारा पैसा गंवाया:

साल 2021 में भुवनेश की मौत हो गई थी। भुवनेश ने अपने रिटायरमेंट के बाद 16 लाख की एफडी कराई थी, जिसका नॉमिनी दीपक था। भुवनेश की मृत्यु के बाद दीपक ने एफडी से सारे पैसे निकाल लिए थे और जिसमें से ₹2 लाख खर्च कर दिए और करीब 14 लाख रुपए शेयर बाजार में बर्बाद कर दिया । अब इसके बाद उसकी नजर मां उषा देवी की 32 लाख की एफडी पर पड़ी । इस एफडी में भी वह नॉमिनी था। इस रकम को पाने के लिए ही इसमें अपनी मां उषा देवी की हत्या की।
पुलिस के मुताबिक दीपक की नजर मां की संपत्ति जिसमें 32 लाख की एफडी ,2 लाख रुपए नगद,आठ लाख के गहने और श्योरपुर में दो मंजिला घर भी था। यह कुल मिलाकर सारी संपत्ति डेढ़ करोड़ के आसपास की थी । जिसे वह सारा हड़पना चाहता था।

कैसे की हत्या:
दीपक ने 8 मई 2024 को अपनी मां उषा देवी के गायब होने की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई। उसने पुलिस को बताया कि उसकी मां घर से अस्पताल के लिए निकली थी उसके बाद से घर वापस नहीं आई । किंतु पुलिस की पूछताछ में वह अपने बयान बार-बार बदल रहा था । जिससे पुलिस को उस पर संदेह हुआ । सख्ती से पूछताछ करने पर उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
उसने बताया 6 मई की सुबह उसकी मां तुलसी पर जल चढ़ाने के लिए छत पर गई । वहीं से दीपक ने उन्हें सीढ़ियां से धक्का दे दिया ।‌जिससे उन्हें सिर पर गंभीर चोट लगी । इसके बाद उसने राॅड से सिर पर तीन-चार बार मारा ।‌इसके बाद भी उसने उनकी ही साड़ी से मां का गला घोट दिया। इससे उषा देवी की मृत्यु हो गई। हत्या के बाद सीढ़ियां के नीचे बने बाथरूम के अंदर शव को कंक्रीट से चुनाई करवा दिया।
जांच में पता चला है कि दीपक ने करीब 6 महीने पहले भी उषा देवी को खाने में चूहा मार दवा मिलाकर मारने की कोशिश की थी किंतु किसी कारण वश वे बच गई थी।

दीपक को मिली मौत की सजा:

अदालत ने दीपक को आईपीसी की धारा 302 के तहत मौत की सजा सुनाई है । इसके अलावा धारा 201 के तहत 7 साल की कैद और दोनों धाराओं में ₹1000 का जुर्माना भी लगाया गया है।
विशेष न्यायाधीश एल डी सोलंकी ने दीपक पचोरी को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। फैसले में कहा गया है उसे तब तक फांसी दी जाए जब तक उसकी मौत ना हो जाए । श्योरपुर के इतिहास में यह दूसरा ऐसा मामला है जब अदालत में किसी आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है । न्यायाधीश ने कहा दीपक पचोरी किसी भी तरह का दया का पात्र नहीं है । क्योंकि संपत्ति के लिए मां की हत्या करना बहुत ही अमानवीय और आपराधिक मामला है। यह एक बहुत ही क्रूर माना गया है। अदालत में इस मौत की सजा को दुर्लभ से दुर्लभ मामलों में एक माना गया है और मौत की सजा सुनायी गयी है।

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