
12 जुलाई 2025 : मध्य प्रदेश के उज्जैन में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर विराजमान है। महाकाल के दर्शन करने के लिए साल भर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है । किंतु सावन के महीने में भक्तों की संख्या काफी बढ़ जाती है।
सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई से शुरू हो चुका है ।इस सावन के मास में शिव जी की पूजा अर्चना करने का विधान है। शिव मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है ।
12 ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जो उज्जैन में स्थित है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ज्योति के रूप में स्थापित हुए थे ।सावन के महीने में महाकालेश्वर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं ।हर साल सावन और भाद्रपद के मास में महाकाल की सवारी निकाली जाती है। इसे बाबा महाकाल की सवारी के रूप में जाना जाता है ।और इस उत्सव को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
क्यों निकाली जाती है महाकाल की सवारी : क्या है मान्यता
महाकाल की सवारी की परंपरा सदियों पुरानी है इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथो में भी मिलता है।
सावन और भाद्रपद में महाकाल की सवारी बड़े धूमधाम से निकली जाती है ।
ऐसा माना जाता है कि राजा भोज ने महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा शुरू की थी । जिसमें नए रथ और हाथी शामिल किए जाते थे। महाकाल की सवारी एक भव्य यात्रा होती है जिसमें कई तरह के कलाकार संगीतकार और नर्तक शामिल होते हैं भगवान महाकाल को एक रात में बैठक शहर भ्रमण कराया जाता है ।यह रथ चांदी का बना होता है। और कई प्रकार के फूलों से सुसज्जित होता है ।इस जुलूस में विभिन्न कलाकार नागा साधु ढोल नगाड़े तलवार बाज और घुड़स सवार शामिल होते हैं।
इस सवारी के दौरान महाकाल को रथ में बैठाकर नगर का भ्रमण कराया जाता है। महाकाल के जयकारे लगाए जाते हैं। महाकाल की शक्ति और महिमा का प्रतीक के रूप में महाकाल की सवारी को परंपरागत रूप से नगर भ्रमण कराया जाता है।
आईए जानते हैं महाकाल की सवारी के दिन —
(1)प्रथम सवारी –14 जुलाई – श्रावण मास का प्रथम सोमवार ।
(2)द्वितीय सवारी –21 जुलाई– श्रावण मास का द्वितीय सोमवार
(3)तृतीय सवारी –28 जुलाई– श्रावण मास का तृतीया सोमवार
(4)चतुर्थ सवारी– 4 अगस्त- श्रवण का चतुर्थ सोमवार
(5)पांचवी सवारी –11 अगस्त– भाद्रपद प्रथम सोमवार
(6)छठी सवारी– 18 अगस्त– भाद्रपद द्वितीय सोमवार।