
31 जुलाई 2025: साल 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट में आज गुरुवार को अदालत का फैसला आ ही गया।
मालेगांव में हुए इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। 17 साल के लंबे इंतजार के बाद विशेष NIA की अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इस विस्फोट से देश भर में सनसनी फैल गई थी और पहली बार हिंदू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों को उठाया गया था। भगवा आतंकवाद का नाम देकर इसे राजनीति का एक हिस्सा बनाया गया था ।आज जस्टिस लाहोटी ने कहा कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। जिन लोगों ने भगवा को आतंकवाद की संज्ञा देने की कोशिश की है, आज उनको भी जवाब मिल गया। इसमें 6 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिसमें से पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भी विशेष आरोपी बनाया गया था।
क्या आरोप लगाए थे:
साल 2008 में मालेगांव में जो ब्लास्ट हुआ उसमें 6 लोगों को आरोपी बनाया गया था उनके नाम है –
1..साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पूर्व भाजपा सांसद
2..लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित
3..रमेश उपाध्याय
4..अजय राहिरकर
5..सुधाकर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडे
6..सुधाकर चतुर्वेदी
7..और समीर कुलकर्णी
इन सभी पर मालेगांव ब्लास्ट पर आरोप लगाए गए थे।
इस मामले में कर्नल पुरोहित पर आरोप था कि उन्होंने आरडीएक्स कश्मीर से लाकर महाराष्ट्र में अपने घर में छुपाया था । और इस बम को सुधाकर चतुर्वेदी के देवली छावनी में स्थित अपने घर में तैयार किया था । जिसे लेकर एटीएस ने अलग ही दावा किया है कि बाइक पर बम प्रवीण टक्कलकी ,राम जी कालसांगरा और संदीप डांगे ने लगाया था। इन पर आरोप है कि यह तीनों भी एक बड़ी साजिश के तहत काम कर रहे थे ।
पहले चार्ज शीट कब दाखिल हुई:
इस मामले में पहले चार्ज शीट 2009 में दाखिल की गई थी। जिसमें 11 आरोपी और तीन वांटेड थे।
इलेक्ट्रॉनिक सबूत में सुधाकर द्विवेदी के लैपटॉप की वह सारी रिकॉर्डिंग मौजूद थी और उसे पेश किया गया वॉयस सैंपल भी शामिल किए गए थे इन सभी पर UAPA और IPC की गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया । किंतु जांच के दौरान पता चला कि जनवरी 2008 में फरीदाबाद भोपाल और नासिक में इस साजिश को लेकर बैठकों का दौर चला था। कोर्ट ने कहा कि इन आरोपियों पर घटना से जुड़े आरोप साबित नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा कि विस्फोट हुआ था यह सिद्ध हुआ लेकिन यह साबित नहीं हो सका की बाइक में बम था ।मोटरसाइकिल का चेचिस नंबर स्पष्ट नहीं हुआ।
इसके अलावा साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बम वाली बाइक से कोई संबंध साबित नहीं हो सका । घटनास्थल से कोई फिंगरप्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्राप्त नहीं हुआ। UAPA लागू करने की प्रक्रिया दोषपूर्ण पाई गई।
मालेगांव ब्लास्ट की जांच शुरुआत में महाराष्ट्र एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड को दी गई थी। लेकिन बाद में इसे NIA यानि नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी को सौंप दिया गया था। एटीएस के आरोप थे ठाकुर ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने वाहन मुहैया कराया था । जिसके इस्तेमाल मालेगांव ब्लास्ट में किया गया था । यह वाहू प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम रजिस्टर्ड पाया गया था।
लंबे इंतजार के बाद आया फैसला:
विशेष NIA की अदालत ने कहा है कि ब्लास्ट में इस्तेमाल बाइक प्रज्ञा सिंह ठाकुर के होने के सबूत नहीं है। इन आरोपियों पर UAPA नहीं लगा सकते। कई गवाहों और बयानों, इसके अलावा कई सबूत के आधार पर सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है । जस्टिस लाहोटी ने कहा कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता । और कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता। साध्वी की बाइक का इस्तेमाल किया गया । कोर्ट ने कहा इसका भी कोई सबूत नहीं मिला है।
इसके अलावा कर्नल पुरोहित पर बम लगाने का आरोप साबित नहीं हो सका। अभिनव भारत के फंड का इस्तेमाल नहीं हुआ। भगवा आतंक का केस लगाया गया था । जिसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह बरी हुई।
क्या था मालेगांव ब्लास्ट मामला:
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए धमाके ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। नवरात्र शुरू होने से ठीक पहले यह विस्फोट किया गया था। रमजान का महीना था महाराष्ट्र के मालेगांव शहर के भीकू चौक पर एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर अचानक विस्फोट हुआ था। जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी । इसमें 100 से ज्यादा घायल हुए थे। आसपास की इमारत को भारी नुकसान हुआ था । और इस विस्फोट से देशभर में सनसनी फैल गई थी इस केस में पहली बार ही हिंदू आतंकवाद जैसे शब्दों को उठाया गया था।
इस मामले में प्रज्ञा सिंह ठाकुर के अलावा लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी आरोपियों पर गैर कानूनी गतिविधियों के तहत मुकदमा चलाया गया था और मेजर रमेश उपाध्याय सेवानिवृत्ति अजय राहिरकर सुधाकर द्विवेदी सुधाकर चतुर्वेदी समीर कुलकर्णी को आरोपी बनाया गया था।
साबित नहीं हुआ:
यह मुकदमा करीब 17 साल तक चला लेकिन अभियोजन पक्षी साबित नहीं कर सका कि इस विस्फोट के पीछे कौन था इस मामले में जितने भी गवाह पेश किए गए सभी अपने बयान से मुकर गए र्ड आरडीएक्स लेफ्टिनेंट के घर से मिलने का सबूत नहीं मिला इस मामले के सभी सातों आरोपी कोर्ट रूम पहुंचे अदालत में अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई की और अंतिम डाली दे पूरे करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था इस फैसले का इंतजार पूरा देश कर रहा था और सभी यह जानना चाहते थे कि भगवा आतंक कैसे हो सकता है ।आज इसी पर फैसला आया और सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।
कोर्ट ने साफ किया कि फोरेंसिक रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं है ।पर्याप्त सबूत नहीं है, जांच में कई तकनीकी खामियां हैं ।कई मेडिकल सर्टिफिकेट में भी हेरा फेरी हुई है ।
केस की टाइमलाइन देखें तो पता चलता है —
2008 –में धमाका हुआ
2011 –में केस NIA को सौंपा गया
2018 –ट्रायल शुरू
2025 –19 अप्रैल को ट्रायल पूरा
31 जुलाई 2025 फैसला सभी बरी ।