
देश में नंबर वन, विदिशा सबसे आगे
उज्जैन तीसरे, इंदौर पांचवें स्थान पर; पर्यावरण को बड़ा नुकसान
भोपाल: मध्य प्रदेश ने नरवाई (फसल अवशेष) जलाने के मामले में पूरे देश में पहला स्थान हासिल कर लिया है, जो पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है। 2024-25 की रबी और खरीफ फसलों के बाद नरवाई जलाने की घटनाओं में विदिशा जिला प्रदेश में शीर्ष पर रहा, जबकि उज्जैन तीसरे और इंदौर पांचवें स्थान पर है। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और पर्यावरण मंत्रालय की हालिया सैटेलाइट निगरानी रिपोर्ट से सामने आई है।
प्रदेश में हर साल लाखों हेक्टेयर खेतों में नरवाई जलाई जाती है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचता है। विदिशा में गेहूं और चना जैसी फसलों के अवशेष जलाने की घटनाएं सबसे अधिक दर्ज की गईं। यहां किसान लागत और समय बचाने के लिए नरवाई जलाना पसंद करते हैं, लेकिन इसके दुष्परिणाम पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ रहे हैं। उज्जैन और इंदौर जैसे कृषि-प्रधान जिलों में भी यह प्रथा आम है, जो इन जिलों को इस सूची में ऊपर ला रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नरवाई जलाने से निकलने वाला धुआं कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करता है, जो वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को खराब करता है। इससे सांस की बीमारियां और जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि नरवाई को जैविक खाद में बदलने या अन्य वैकल्पिक उपयोग से इस समस्या को कम किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश सरकार ने नरवाई जलाने पर रोक लगाने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए हैं और किसानों को सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध कराई हैं। इसके बावजूद, जमीनी स्तर पर बदलाव धीमा है। पर्यावरणविदों ने सरकार से सख्त कदम उठाने और किसानों को वैकल्पिक समाधान प्रदान करने की मांग की है। इस अनचाहे रिकॉर्ड ने मध्य प्रदेश को पर्यावरण संरक्षण के मोर्चे पर नई रणनीति अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है।