
इस्लामाबाद. पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्हाइट हाउस (White House) में हुई मुलाकात और साथ में लंच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मुलाकात पर अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा- पाकिस्तान जनरल मुनीर से मुलाकात के बाद वे काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं. इसके जवाब में मुनीर ट्रंप के लिए कसीदे पढ़ते नजर आए. उन्होंने ट्रंप को भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाने के लिए शांति पुरस्कार देने की मांग की है. यह पहली दफा है कि जब पाकिस्तानी आर्मी चीफ को अमेरिकी राष्ट्रपति ने लंच पर मुलाकात के लिए आमंत्रित किया. हालांकि इससे पहले सैन्य पद पर रहे लोग अमेरिकी राष्ट्रपति से मिल चुके हैं, लेकिन वे उस वक्त पाकिस्तान के राष्ट्रपति के पद पर भी आसीन थे.
इधर पर पूरे मामले में पर भारत ने इस मुलाकात का पुरजोर खंडन किया है. साथ ही दोनों देशों के बीच युद्ध में मध्यस्थता के बयान के दावे का भी पुरजोर खंडन किया है. भारत मुनीर को पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड मानता है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल अभी भी स्थाई है कि आखिर कैसे डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख से मिलना कबूल किया था. आइए जानते हैं, सिलसिलेवार तरीके से…

कई महीने की कोशिश और मुनीर की ट्रंप से मिलने के जिद्द
अमेरिकी अखबार डॉन ने दावा किया है, कि कई महीने की कोशिश के बाद इस मुलाकात को संभव बनाया है. इससे पहले भी पाकिस्तानी सेना प्रमुख अमेरिकी राष्ट्रपति से छुपे तौर पर मिलते रहे हैं. लेकिन इस बार मुनीर ट्रंप से खुलकर मुलाकात करने को लेकर जिद्द पर अड़ गए थे. मुनीर चाहते थे कि उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात भारत और इमरान खान के समर्थकों को एक संदेश दे सके. साथ ही इस मुलाकात की एक बड़ी वजह मिडिल ईस्ट में चल रहे, इजरायल और ईरान के युद्ध को भी माना जा रहा है.
मुनीर से पहले पाकिस्तान के फील्ड मार्शल अयूब खान, जनरल जिया उल हक और जनरल मुशर्रफ भी राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात कर चुके हैं.
मुलाकात के पीछे कई महीने की पटकथा
दरअसल, मुनीर और ट्रंप की मुलाकात अचानक नहीं हुई है. इसके लिए कई महीने से बातचीत चल रही थी. इस मुलाकात को लेकर की जा रही चर्चा को सीक्रेट रखा गया था. लेकिन मंगलवार को व्हाइट हाउस की तरफ से मुलाकात के शेड्यूल जारी कर दिया गया. इधर पाकिस्तान को भरोसा नहीं था कि यह मुलाकात हो सकेगी.
पाकिस्तानी अखबार डॉन की मानें तो आतंकवाद निरोधक सहयोग, क्रिप्टो नेटवर्क और रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े लॉबियिंग फर्म ने ट्रंप और मुनीर की इस मुलाकात को संभव बनाया. इस लंच में दोनों देशों के अधिकारी और मंत्री शामिल रहे. पाकिस्तान इस मुलाकात को एक मील का पत्थर बता रहा है. साथी दोनों देशों के नए रिश्तों की शुरुआत के तौर पर भी इसे देख रहा है.
पीएम मोदी ने ट्रंप आमंत्रण को किया खारिज
इस मुलाकात से पहले भारत के प्रधानमंत्री से मिलने की इच्छा डोनाल्ड ट्रंप ने जताई थी, जिसे भारत के प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी बिजी शेड्यूल होने का हवाला देकर खारिज कर दिया था. माना जा रहा था कि ट्रंप व्हाइट हाउस में मोदी और मुनीर की मुलाकात कराकर मध्यस्थता कराना चाहते थे, लेकिन भारत ने इस चाल को समझकर मिलने से ही इंकार कर दिया.
भारत के प्रभाव को कम करने 2 लॉबियिंग फर्म हायर
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान ने भारत के प्रभाव को कम करने के लिए 2 लॉबियिंग फर्म को हायर किया है. इन दोनों फर्मों को 2 लाख डॉलर हर महीने दिया जा रहा है. इन्हीं के जरिए पाकिस्तान अमेरिका का चहेता बनना चाहता है.