
26 जुलाई 2025: लोक परंपराओं की झलक
भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों की नाग पंचमी से जुड़ी कथाओं के साथ उनकी पूजन विधि
यह जानकारी सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जो स्थानीय परंपराओं की झलक देती है।
1. गोंड जनजाति (मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़)
कथा:
गोंड जनजाति के अनुसार नाग देवता जल और पृथ्वी की रक्षा करते हैं। जब वर्षा नहीं होती थी, तो नाग पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता था।एक पुरानी कथा के अनुसार:
“एक समय की बात है, जब गाँव में अकाल पड़ा। जल के सभी स्रोत सूख गए। एक बुजुर्ग गोंड ने सपना देखा कि गाँव के पास की पहाड़ी में नाग देवता हैं जो वर्षा और जल के रक्षक हैं। गाँव वालों ने वहाँ पूजा की और कुछ ही दिनों में बारिश हुई और नदियाँ बहने लगीं। तभी से नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा की परंपरा बनी
पूजन विधि:
- नाग पंचमी के दिन महिलाएं और बुजुर्ग पहाड़ या जंगल के पास स्थित नाग स्थलों पर जाती हैं।
- वहां पीली मिट्टी से नाग की आकृति बनाते हैं या प्राकृतिक पत्थर को नाग मानते हैं।
- चावल, फूल, हल्दी, दही और दूध चढ़ाया जाता है।
- मिट्टी से बनी छोटी नाग मूर्तियों की पूजा होती है।
- हल चलाना वर्जित होता है, ताकि धरती में नाग को चोट न पहुंचे।
2. भील जनजाति (राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, गुजरात)
कथा:
भील समुदाय नागों को पूर्वजों की आत्मा मानते हैं।
“बहुत पहले एक किसान ने अनजाने में एक नाग को मार दिया। अगले दिन गाँव में दुर्भाग्य शुरू हो गया — फसलें सूख गईं, जानवर बीमार पड़ने लगे। गाँव के बुजुर्गों ने बताया कि यह नाग देवता का कोप है। फिर नाग पंचमी पर नाग की मूर्ति बनाकर उसकी क्षमा मांगी गई और दूध अर्पित किया गया। तभी से नाग पंचमी को पवित्र पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।”
पूजन विधि:
- नाग पंचमी पर काले धागे में हल्दी से रंगे धान के दाने बांधकर नाग को अर्पित करते हैं।
- गाँव के बाहर विशेष वृक्षों (जैसे पीपल या नीम) के नीचे नाग मूर्ति की पूजा होती है।
- मंदिर नहीं, पेड़-पत्थरों और प्रकृति में पूजा की जाती है।
- भजन-नृत्य कर नाग देवता को प्रसन्न करते हैं।
- घरों में विशेष मांडना (फर्श पर आकृति) बनाई जाती है जिसमें नाग आकृति होती है।
3. संथाल जनजाति (झारखंड, बंगाल, उड़ीसा)
कथा:
संथाल मानते हैं कि नाग फसलों और बच्चों की रक्षा करते हैं। नाग को मारने पर दुर्भाग्य आता है।संथाल जनजाति में नागों को वर्षा और उपज का प्रतीक माना जाता है। उनका मानना है कि नागों की पूजा से खेतों में अनाज भरपूर होता है।
“एक बार एक नागिन ने एक किसान के बच्चों को डस लिया। लेकिन जब किसान ने नागिन को दूध पिलाकर क्षमा मांगी, तो नागिन ने जीवनदान दे दिया। उस दिन को संथाल लोगों ने ‘नाग पंचमी’ के रूप में मनाना शुरू किया।”
पूजन विधि:
- नाग पंचमी पर घरों के बाहर दीवारों पर नाग की आकृति गोबर और मिट्टी से बनाते हैं।
- महिलाएं दूध, चावल, फूल और फल चढ़ाती हैं।
- बांस की खपच्चियों से बनी नाग मूर्तियां बनाकर उनका विसर्जन करते हैं।
- गाँव के बच्चे नाग गीत गाते हैं और घर-घर जाकर आशीर्वाद मांगते हैं।
- हल का प्रयोग नहीं करते और उबले चावल व गुड़ का भोग चढ़ाते हैं।
4. ओरांव जनजाति (झारखंड, छत्तीसगढ़)
कथा:
नाग को धरती का संरक्षक और बीजों की रक्षा करने वाला माना जाता है। वर्षा, उपज और संतुलन उसी से जुड़ा है।ओरांव समुदाय में मान्यता है कि नाग और धरती का संबंध बहुत गहरा है। नाग देवता को धरती की उर्वरता का रक्षक माना जाता है।
“ओरांव लोग नाग पंचमी पर मिट्टी से नाग की आकृति बनाते हैं और अपने खेतों में उसकी पूजा करते हैं ताकि बुआई अच्छी हो और कीटों से रक्षा हो।”
पूजन विधि:
- खेत के बीचों-बीच मिट्टी से नाग देवता की आकृति बनाते हैं।
- परिवार के लोग वहां जाकर हल्दी, चावल, दूध और फूल चढ़ाते हैं।
- नदी या कुएं के पास भी पूजा होती है ताकि जल स्रोत शुद्ध रहें।
- औरतें उपवास रखती हैं और शाम को प्राकृतिक दीपक जलाकर पूजा करती हैं।
- कुछ स्थानों पर मटके में नाग छवि बनाकर पूजा की जाती है।
5. कोरकू जनजाति (मध्य भारत)
कथा:
कोरकू लोग नाग को ऋषि वंशज मानते हैं l कोरकू आदिवासियों के अनुसार नाग एक प्राचीन ऋषि हैं जो जंगल और जल के रक्षक हैं। नाग पंचमी के दिन वे जंगल में जाकर एक विशेष वृक्ष के नीचे पूजा करते हैं जहाँ मान्यता है कि नाग वास करते हैं।
पूजन विधि
- जंगल के विशेष स्थानों (नाग सथान) पर जाकर पूजा करते हैं।
- जड़ी-बूटियों और पत्तों से बनी थाली में दूध, फूल, अक्षत रखते हैं।
- वहां लोकगीत गाते हैं और नाग देवता से सुरक्षा की कामना करते हैं।
- नृत्य और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ एक छोटा सांस्कृतिक आयोजन भी होता है।
- पूजा के बाद जंगल में कोई भी पेड़ नहीं काटते उस दिन।
नाग की पूजा अक्सर प्रकृति से संतुलन बनाए रखने की परंपरा का हिस्सा है।
दूध चढ़ाना, हल न चलाना, और फसल की रक्षा की कामना करना नाग पंचमी के दौरान सामान्य रिवाज़ हैं।
कुछ क्षेत्रों में नाग जात्रा (नाग यात्रा) जैसे उत्सव भी होते हैं, जिसमें लोकनृत्य और संगीत शामिल होते हैं।