
कांग्रेस का PM मोदी पर तीखा तंज, सियासी तूफान की आहट
भारत की विदेश नीति को लेकर एक बार फिर सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। कनाडा में होने वाली G7 शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण न मिलने की खबर ने विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का मौका दे दिया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए PM मोदी पर तंज कसा, “पहले ट्रंप को मध्यस्थता करने का मौका दिया, और अब G7 में भारत को बुलावा तक नहीं!” यह बयान न केवल भारत की कूटनीतिक स्थिति पर सवाल उठाता है, बल्कि इसे सियासी हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सोशल मीडिया से लेकर संसद तक, इस खबर ने तहलका मचा दिया है। आइए, इस सियासी विवाद की पूरी कहानी को करीब से समझते हैं और जानते हैं कि आखिर यह मसला इतना गर्म क्यों हो रहा है।
G7 में भारत की अनुपस्थिति: छह साल में पहली बार
15-17 जून 2025 को कनाडा में होने वाली G7 शिखर बैठक में भारत को निमंत्रण न मिलने की खबर ने सभी को चौंका दिया है। भारत भले ही G7 का स्थायी सदस्य नहीं है, लेकिन पिछले छह सालों से उसे इस सम्मेलन में अतिथि के तौर पर बुलाया जाता रहा है। इस बार निमंत्रण न मिलना सियासी और कूटनीतिक हलकों में एक बड़ा सवाल बन गया है। सोशल मीडिया पर इस खबर ने तूल पकड़ा, जहां कई लोगों ने इसे भारत की विदेश नीति की “नाकामी” करार दिया।
कांग्रेस ने इस मौके को भुनाते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “पहले PM मोदी ने ट्रंप को भारत-पाक मसले में मध्यस्थता करने का मौका दिया, और अब G7 में भारत को बुलाया तक नहीं गया। यह हमारी विदेश नीति की असफलता का सबूत है।” इस बयान ने सियासी तापमान को और बढ़ा दिया, क्योंकि यह भारत की वैश्विक छवि पर सीधा सवाल उठाता है।
ट्रंप का मध्यस्थता वाला तंज
कांग्रेस ने अपने हमले में डोनाल्ड ट्रंप के उस पुराने बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि PM मोदी ने उनसे भारत-पाक मसले पर मध्यस्थता करने को कहा था। हालांकि, भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज किया था, लेकिन कांग्रेस ने इसे फिर से उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश की। पार्टी ने दावा किया कि ट्रंप के उस बयान ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर सवाल उठाए थे, और अब G7 से निमंत्रण न मिलना इसे और पुख्ता करता है।
सोशल मीडिया पर कांग्रेस समर्थकों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। एक यूजर ने लिखा, “ट्रंप को मध्यस्थता का मौका देना और अब G7 में जगह न मिलना—यह दिखाता है कि हमारी विदेश नीति कितनी कमजोर हो गई है।” दूसरी ओर, सत्तारूढ़ दल के समर्थकों ने इसे विपक्ष की “नकारात्मक सियासत” करार दिया। एक यूजर ने टिप्पणी की, “G7 में निमंत्रण न मिलना कोई बड़ी बात नहीं। भारत अपनी ताकत से वैश्विक मंच पर छाया हुआ है।”
सियासी जंग: विदेश नीति पर सवाल
कांग्रेस का यह तंज न केवल G7 सम्मेलन को लेकर है, बल्कि यह भारत की समग्र विदेश नीति पर एक बड़ा हमला है। पार्टी ने दावा किया कि PM मोदी की सरकार ने पिछले कुछ सालों में भारत की वैश्विक साख को कमजोर किया है। एक कांग्रेस नेता ने कहा, “हमारी विदेश नीति अब सिर्फ फोटो-ऑप्स और डंका पीटने तक सीमित हो गई है। G7 में निमंत्रण न मिलना इसका जीता-जागता सबूत है।”
इसके जवाब में सत्तारूढ़ दल ने कांग्रेस पर पलटवार किया। एक बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “कांग्रेस को भारत की वैश्विक ताकत दिखाई नहीं देती। G20, QUAD और अन्य मंचों पर भारत की भूमिका बेमिसाल है। G7 का निमंत्रण न मिलना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है।” बीजेपी समर्थकों ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि भारत अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में है, और कनाडा का यह फैसला उनके द्विपक्षीय संबंधों से प्रभावित हो सकता है।
कनाडा के साथ तनाव: क्या है वजह?
G7 में भारत को निमंत्रण न मिलने की खबर को कई लोग भारत और कनाडा के बीच हाल के तनाव से जोड़कर देख रहे हैं। दोनों देशों के बीच खालिस्तान समर्थक गतिविधियों और कूटनीतिक तनाव ने संबंधों को प्रभावित किया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कनाडा का यह फैसला भारत के प्रति उसकी नाराजगी का परिणाम हो सकता है।
सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने इस तनाव को हवा दी। एक यूजर ने लिखा, “कनाडा ने जानबूझकर भारत को G7 में नहीं बुलाया। यह उनकी खालिस्तान समर्थक नीतियों का नतीजा है।” वहीं, कुछ लोगों ने इसे सामान्य कूटनीतिक प्रक्रिया बताया और कहा कि हर साल G7 में अतिथि देश बदलते रहते हैं।
सियासी निहितार्थ
इस विवाद ने भारत की सियासत में एक नया मोड़ ला दिया है। कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाकर सरकार की विदेश नीति को कमजोर साबित करने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने दावा किया कि PM मोदी की “विश्वगुरु” वाली छवि अब खोखली साबित हो रही है। दूसरी ओर, बीजेपी इसे विपक्ष की नकारात्मक सियासत करार दे रही है।
यह विवाद 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद की सियासत को और गर्म कर सकता है। अगर कांग्रेस इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाती है, तो यह संसद के अगले सत्र में भी हंगामे का कारण बन सकता है। साथ ही, यह भारत-कनाडा संबंधों पर भी असर डाल सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
G7 में भारत को निमंत्रण न मिलना भले ही एक कूटनीतिक घटना हो, लेकिन इसका सियासी असर लंबे समय तक देखा जा सकता है। कांग्रेस इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकती है। वहीं, बीजेपी इसे भारत की वैश्विक ताकत के साथ जोड़कर विपक्ष के हमले को कमजोर करने की रणनीति अपना सकती है।
इसके अलावा, यह घटना भारत और कनाडा के बीच संबंधों पर भी सवाल उठाती है। क्या यह दोनों देशों के बीच तनाव का परिणाम है, या सिर्फ एक सामान्य कूटनीतिक फैसला? इसका जवाब आने वाले दिनों में साफ हो सकता है।
सियासत में नया हंगामा
कनाडा के G7 सम्मेलन में भारत को निमंत्रण न मिलने और कांग्रेस के तंज ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है। यह विवाद न केवल भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाता है, बल्कि सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच एक नई जंग का आगाज करता है। ट्रंप की मध्यस्थता से लेकर G7 तक, यह सियासी ड्रामा देश की जनता और सोशल मीडिया पर लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा। अब सवाल यह है कि इस सियासी तूफान का अगला मोड़ क्या होगा?