
कोई मुझसे डराए, ऐसा पैदा नहीं हुआ….
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सियासी तापमान एक बार फिर चढ़ गया है, और इस बार केंद्र में हैं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद। मसूद के एक पत्र ने, जिसमें उन्होंने ओवैसी को निशाना बनाया था, सियासी गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया। जवाब में ओवैसी ने अपनी बेबाकी के साथ ऐसा पलटवार किया कि हर कोई हैरान है। उनका बयान, “दुनिया में कोई ऐसा पैदा नहीं हुआ जो मुझसे डराए,” न केवल मसूद को जवाब है, बल्कि यह बिहार से लेकर दिल्ली तक की सियासत में नए समीकरणों की ओर इशारा करता है। आइए, इस सियासी जंग की पूरी कहानी को विस्तार से जानें और समझें कि यह विवाद बिहार और मध्य प्रदेश की राजनीति को कैसे प्रभावित कर सकता है।
पत्र से शुरू हुआ विवाद: मसूद ने क्या लिखा?
भोपाल के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने हाल ही में एक पत्र लिखकर असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी AIMIM पर निशाना साधा। मसूद ने पत्र में ओवैसी को “सांप्रदायिक ताकतों” का साथ देने और “वोट काटने” का आरोप लगाया। उनका दावा था कि AIMIM की मौजूदगी से कांग्रेस और महागठबंधन को नुकसान हो रहा है, खासकर बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में। मसूद ने यह भी कहा कि ओवैसी की सियासत से विपक्ष की एकता कमजोर हो रही है, और यह अप्रत्यक्ष रूप से BJP को फायदा पहुंचा रहा है। इस पत्र ने न केवल मध्य प्रदेश की सियासत में हलचल मचाई, बल्कि बिहार में भी चर्चा का विषय बन गया, जहां AIMIM और कांग्रेस-महागठबंधन के बीच पहले से ही तनाव है।
ओवैसी का तीखा पलटवार:
‘मुझसे डराने वाला पैदा नहीं हुआ’
हमेशा अपनी बेबाकी और तीखे बयानों के लिए मशहूर असदुद्दीन ओवैसी ने मसूद के पत्र का जवाब देने में जरा भी देर नहीं की। एक सभा में उन्होंने कहा, “दुनिया में कोई ऐसा पैदा नहीं हुआ जो असदुद्दीन ओवैसी को डराए। मैं अपनी बात कहता हूं, और सच बोलने से नहीं डरता।” ओवैसी ने मसूद के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनकी पार्टी AIMIM मुस्लिम समुदाय और अन्य वंचित वर्गों की आवाज उठाती है, जिसे कांग्रेस जैसे दल नजरअंदाज करते रहे हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा, “हम किराएदार नहीं, इस देश के हिस्सेदार हैं, और अपनी बात रखने का हक हमें कोई नहीं छीन सकता।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सियासी तनातनी
इस विवाद की पृष्ठभूमि में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र भी अहम है। मसूद ने अपने पत्र में ओवैसी की सियासत को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मुद्दों से जोड़ा, जिसे लेकर बिहार और मध्य प्रदेश में तनाव देखा गया है। ओवैसी ने इस पर भी पलटवार करते हुए कहा कि वह किसी सांप्रदायिक एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं और उनकी पार्टी का मकसद केवल समाज के कमजोर वर्गों को उनका हक दिलाना है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपनी कमजोरियों का ठीकरा AIMIM पर फोड़ रही है, जबकि उसे अपनी रणनीति और संगठन पर ध्यान देना चाहिए।
बिहार और मध्य प्रदेश में AIMIM की बढ़ती ताकत
ओवैसी की पार्टी AIMIM ने हाल के वर्षों में बिहार और मध्य प्रदेश में अपनी पैठ बढ़ाई है। बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। मध्य प्रदेश में भी पार्टी ने स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। मसूद जैसे नेताओं को यह डर है कि AIMIM की बढ़ती लोकप्रियता कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक, खासकर मुस्लिम मतदाताओं को, प्रभावित कर सकती है। ओवैसी ने इस पर तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस को अगर अपने वोटरों की चिंता है, तो वह उनके लिए काम करे। हम तो बस उनकी आवाज उठा रहे हैं, जो सालों से अनसुनी थी।”
कांग्रेस की चुनौती: विपक्षी एकता पर सवाल
मसूद का पत्र और ओवैसी का जवाब कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। बिहार में महागठबंधन पहले से ही RJD और JDU जैसे दलों के बीच तनाव से जूझ रहा है। ऐसे में AIMIM की मौजूदगी विपक्षी एकता को और कमजोर कर सकती है। मसूद के पत्र को कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वह AIMIM को विपक्षी गठबंधन से बाहर रखना चाहती है। लेकिन ओवैसी के तीखे जवाब ने यह साफ कर दिया कि वह किसी के दबाव में झुकने वाले नहीं हैं।
सोशल मीडिया पर छिड़ी जंग
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर भी तूफान मचा दिया है। ट्विटर पर #OperationSindoor और #AsaduddinOwaisi जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कुछ यूजर्स ने ओवैसी की बेबाकी की तारीफ की, तो कुछ ने मसूद के पत्र को सही ठहराया। एक यूजर ने लिखा, “ओवैसी की बात सही है, कांग्रेस को अपनी कमजोरियां देखनी चाहिए, न कि दूसरों पर इल्जाम लगाना।” वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, “मसूद ने सही मुद्दा उठाया। AIMIM की सियासत BJP को फायदा पहुंचा रही है।” यह बहस बताती है कि यह विवाद जल्द खत्म होने वाला नहीं है।
क्या होगा इस सियासी जंग का नतीजा?
यह विवाद न केवल मध्य प्रदेश और बिहार की सियासत को प्रभावित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विपक्षी दलों के बीच समीकरण बदल सकता है। ओवैसी की बेबाकी और AIMIM की बढ़ती ताकत कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती है। दूसरी ओर, मसूद जैसे नेताओं का यह रुख दिखाता है कि कांग्रेस अब AIMIM को अपने लिए खतरा मान रही है। आने वाले दिन इस बात का फैसला करेंगे कि क्या यह सियासी जंग विपक्षी एकता को तोड़ेगी, या फिर यह एक नए गठजोड़ की शुरुआत होगी।