
देशभर में प्रदर्शन की तैयारी, मुस्लिम संगठनों ने काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ने की अपील की
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में कई लोगों की जान गई और इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा माना जा रहा है। हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया और पाकिस्तान को आधिकारिक पत्र भेजकर इसकी जानकारी दी। इस हमले ने न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों को तनावपूर्ण बनाया, बल्कि देशभर में आक्रोश की लहर भी पैदा की।
पहले जुमे पर प्रदर्शन की अपील
आज, 25 अप्रैल 2025 को हमले के बाद पहला जुम्मा है, और देशभर के मुस्लिम संगठनों ने इस अवसर पर एकजुटता दिखाने और आतंकवाद के खिलाफ संदेश देने की अपील की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना ओबैदुल्लाह खान आज़मी ने मुस्लिम समुदाय से जुमे की नमाज के दौरान अपनी बांह पर काली पट्टी बांधने और पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, “यह हमला भारत की शांति और एकता को कमजोर करने की साजिश है। हमें एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी होगी।”
इसी तरह, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने ट्वीट में कहा, “पहलगाम के आतंकी हमले के सिलसिले में मेरी अपील: कल जब आप नमाज़-ए-जुम्मा पढ़ने जाएं तो अपनी बांह पर काली पट्टी बांध लें। ऐसा करके हम यह संदेश देंगे कि हम भारतीय विदेशी ताकतों को भारत की शांति और एकता को कमजोर नहीं करने देंगे।”

देशभर में प्रदर्शन की योजना
मुस्लिम संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने देशभर में जुमे की नमाज के बाद शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में मुस्लिम संगठनों ने पहले ही हमले के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसमें “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाए गए। इन प्रदर्शनों का उद्देश्य आतंकवाद की निंदा करना और भारत की एकता को मजबूत करने का संदेश देना है। दिल्ली, लखनऊ, पटना, हैदराबाद और अन्य प्रमुख शहरों में भी मस्जिदों के बाहर शांतिपूर्ण मार्च और सभाओं की योजना है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई यूजर्स ने इस अपील का समर्थन किया है। एक यूजर ने लिखा, “पहलगाम हमले ने दिखाया कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। मुस्लिम समुदाय का काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन करना एक मजबूत संदेश देगा।” हालांकि, कुछ पोस्ट्स में यह भी चिंता जताई गई है कि प्रदर्शनों को शांतिपूर्ण रखने के लिए प्रशासन को विशेष सावधानी बरतनी होगी।
प्रशासन की तैयारियां
प्रदर्शनों को देखते हुए कई राज्यों में प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। उत्तर प्रदेश, बिहार, और दिल्ली में मस्जिदों और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। लखनऊ के पुलिस कमिश्नर ने कहा, “हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का समर्थन करते हैं, लेकिन किसी भी तरह की अशांति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” स्थानीय प्रशासन ने मुस्लिम संगठनों के साथ बैठकें की हैं ताकि प्रदर्शन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहें।
पहलगाम हमले का व्यापक प्रभाव
पहलगाम हमला केवल एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक नीतियों पर गहरा प्रभाव डालने वाला कदम है। हमले के बाद भारत ने न केवल सिंधु जल संधि को स्थगित किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के मुद्दे को और मजबूती से उठाने का फैसला किया है।
इसके अलावा, हमले ने देशभर में विभिन्न समुदायों को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया है। मुस्लिम संगठनों की यह अपील कि वे आतंकवाद के खिलाफ खुलकर बोलें और प्रदर्शन करें, इस बात का संकेत है कि भारत का हर नागरिक देश की एकता और शांति के लिए प्रतिबद्ध है।
सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां अधिकांश यूजर्स ने मुस्लिम संगठनों की अपील का समर्थन किया है, वहीं कुछ ने इसे “प्रतीकात्मक कार्रवाई” करार देते हुए सरकार से और कड़े कदम उठाने की मांग की है। एक यूजर ने लिखा, “काली पट्टी बांधना अच्छा कदम है, लेकिन भारत को अब पाकिस्तान को सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर जवाब देना चाहिए।”