
पंजाब बॉर्डर पर जीरो लाइन पार करने के बाद हिरासत में लिया गया
पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के जवान कांस्टेबल पी.के. सिंह को पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में लिया है। यह घटना 23 अप्रैल की रात को हुई, जब जवान गलती से जीरो लाइन पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए। 48 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पाकिस्तान ने जवान को रिहा नहीं किया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
घटना का विवरण
बीएसएफ कांस्टेबल पी.के. सिंह फिरोजपुर सेक्टर में सीमा की निगरानी कर रहे थे। रात के समय खराब दृश्यता और जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वे अनजाने में सीमा पार कर गए। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उनके पास मौजूद एके-47 राइफल और अन्य सामान भी जब्त कर लिया। घटना की जानकारी मिलते ही बीएसएफ ने तुरंत पाकिस्तानी पक्ष से संपर्क किया और जवान की रिहाई की मांग की।

फ्लैग मीटिंग्स में नहीं निकला समाधान
जवान की रिहाई के लिए बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच दो फ्लैग मीटिंग्स हो चुकी हैं। पहली मीटिंग 23 अप्रैल की रात को और दूसरी 24 अप्रैल को हुई। दोनों मीटिंग्स में भारत ने जवान की तत्काल रिहाई की मांग की, लेकिन पाकिस्तानी पक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान जवान को प्रचार के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है, जिसे भारत ने “शर्मनाक और गैर-जिम्मेदाराना” कदम बताया है।
भारत सरकार का रुख
भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और पाकिस्तान पर जवान को तुरंत रिहा करने का दबाव बनाया है। बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जवान का सीमा पार करना अनजाने में हुआ था, और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार ऐसी परिस्थितियों में तत्काल रिहाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत शुरू कर दी है।
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में इस मामले को लेकर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया। हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार जवान की सुरक्षित वापसी के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
पाकिस्तान का रवैया
पाकिस्तानी रेंजर्स ने जवान को हिरासत में लेने के बाद उनकी तस्वीरें और वीडियो जारी किए, जिसमें उन्हें हथियार और पानी की बोतल के साथ दिखाया गया। भारत ने इसे मानवीय नियमों का उल्लंघन बताया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान इस घटना को भारत के खिलाफ प्रचार के लिए इस्तेमाल कर सकता है, खासकर तब जब दोनों देशों के बीच हाल ही में सिंधु जल संधि को लेकर तनाव बढ़ा है।
सिंधु जल संधि के स्थगन से बढ़ा तनाव
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का फैसला किया है। भारत ने यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में उठाया, जिसमें पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया। संधि के स्थगन ने दोनों देशों के बीच तनाव को और गहरा दिया है, और बीएसएफ जवान की हिरासत को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस घटना को लेकर कई पोस्ट्स वायरल हो रहे हैं। कुछ यूजर्स ने सरकार से जवान की तत्काल रिहाई के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है, जबकि अन्य ने इसे भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया तनाव बिंदु बताया है। एक यूजर ने लिखा, “भारत सरकार की पहली जिम्मेदारी अपने जवान को सम्मान के साथ वापस लाना है।”
आगे की स्थिति
बीएसएफ और भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि जवान की रिहाई के लिए सभी कूटनीतिक और सैन्य चैनलों का उपयोग किया जा रहा है। तीसरी फ्लैग मीटिंग की संभावना भी जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला दोनों देशों के बीच पहले से चले आ रहे तनाव को और बढ़ा सकता है, खासकर तब जब पाकिस्तान इस घटना को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा।