पीएम मोदी का श्रीलंका दौरा भारत के लिए महत्वपूर्ण

देशों के द्विपक्षीय संबंधों को करेगा मजबूत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पर कोलंबो पहुंचे हैं। एयरपोर्ट पर श्रीलंका के छह मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। पीएम मोदी की श्रीलंका यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूती देना और ऊर्जा, व्यापार, कनेक्टिविटी में सहयोग को बढ़ाना है। मोदी थाईलैंड से श्रीलंका गए हैं।

कोलंबो: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार शाम (4 अप्रैल) को श्रीलंका के तीन दिन के दौरे पर कोलंबो पहुंचे हैं। पीएम मोदी थाईलैंड से श्रीलंका गए हैं, जहां मंत्री विजिता हेराथ, नलिंदा जयतिस्सा, अनिल जयंता, रामलिंगम चंद्रशेखर, सरोजा सावित्री पॉलराज और क्रिशांता अबेसेना ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। पीएम मोदी का दौरा भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ ऊर्जा, व्यापार और कनेक्टिविटी में सहयोग बढ़ाने के लिए है। पीएम मोदी का ये दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि चीन ने हालिया वर्षों में श्रीलंका में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की है।

प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान भारत और श्रीलंका में 10 क्षेत्रों में समझौते होने की उम्मीद है। इस दौरान रक्षा सहयोग समझौते समेत सात समझौतों को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। इसके अलावा तीन और समझौतों पर भी बात हो सकती है। इनमें खासतौर से रक्षा समझौते पर नजर है। भारत और श्रीलंका के बीच पहली बार रक्षा समझौता होने जा रहा है।

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया है कि दोनों देश रक्षा सहयोग पर समझौता करने के लिए तैयार हैं। ये समझौता भारत और श्रीलंका के रक्षा संबंधों को और मजबूत करेगा। इससे 35 वर्ष पहले श्रीलंका से भारतीय शांति सेना की वापसी का बुरा दौर पीछे छूट जाएगा। हालांकि वही इस समझौते बारे में अभी विस्तार से जानकारी नहीं दी गई।

भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा समझौते पर माना जा रहा है कि चीन की हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती सैन्य ताकत को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है। वर्ष 2022 में चीन का मिसाइल और सैटेलाइट ट्रैकिंग जहाज युआन वांग श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर आया था। साथ ही इससे भारत और श्रीलंका के रिश्ते में तनाव आया था। इसके बाद 2023 में एक और चीनी युद्धपोत कोलंबो बंदरगाह पर आया। भारत की कोशिश होगी कि श्रीलंका में चीन के प्रभाव को कम किया जाए।

प्रधानमंत्री की श्रीलंका यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है जब यह द्वीपीय देश आर्थिक संकट से उबरने के संकेत दे रहा है। तीन वर्ष पहले श्रीलंका बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा था और भारत ने 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर की मदद दी थी। मोदी और दिसानायके के बीच वार्ता के बाद ऋण पुनर्गठन और श्रीलंका को भारत की ओर से दी जाने वाली सहायता को सुविधाजनक बनाने से संबंधित दो दस्तावेज सार्वजनिक किए जाने की संभावना है।

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