
तेलअवीव। दुनियाभर में डिप्लोमैटिक पावरहाउस की तरह काम करने वाला मध्यपूर्व में बसा एक छोटा देश कतर कैसे ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध में अहम भूमिका निभाकर ईरान को सीजफायर के लिए राजी कर गया। दोनों देशों के बीच पिछले 10 दिनों से चल रहे संघर्ष में कतर ही था जिसने इस संघर्ष को रोकने में महत्वपूर्ण रोल निभाया। महज 30 लाख की आबादी वाला और दुनिया की सबसे बड़ी अकूत धन संपदा से संपन्न कतर ने ही दोनों देशों को सीजफायर करने में अहम भूमिका निभाई है।
इंटरनेशनल मीडिया की मानें तो ट्रंप ने पहले इजराइल को सीजफायर के लिए राजी किया। फिर कतर के शासक से को ईरान को युद्ध विराम के लिए राजी करने को कहा गया। इसके बाद प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी को ईरानी अधिकारियों से फोन पर बात कर मनाया और सीजफायर के लिए राजी किया।
ऐसा पहली बार नहीं है, जब कतर जैसे देश ने इस तरह के जटिल संघर्षों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है। इससे पहले भी कतर कई मध्यस्थता करा चुका है। इसमें 2003 में दो दशक तक चले अमेरिका-अफगानिस्तानी संघर्ष मे भी कतर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनके अलावा रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान भी अहम भूमिका मध्यस्थता में कतर ने ही निभाई थी। हमास और इजराइल के बीच जारी युद्ध में भी कतर ने मध्यस्थता कर अहम भूमिका निभाई थी।
इसके अलावा 2008 में लेबनान के गृहयुद्ध को खत्म करने में भी लेबनान ने अहम रोल निभाया था। इस दौरान हिज्बुल्लाह और लेबनान के बीच युद्ध चल रहा था। इसमें भी कतर ने अहम भूमिका निभाई थी।