
एआर रहमान और मणिरत्नम पर टिप्पणी
हिंदी रैप म्यूजिक के पहले सितारों में से एक बाबा साहगल ने हाल ही में अपने मशहूर गीत रुकमणि रुक और बॉलीवुड के दिग्गजों के साथ अपने अनुभवों पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि 1994 की फिल्म रोजा के हिंदी संस्करण के लिए रुकमणि गीत को गाने का मौका उन्हें चेन्नई में एक प्रदर्शन के दौरान मिला। बाबा साहगल ने खुलासा किया कि संगीतकार एआर रहमान और निर्देशक मणिरत्नम शुरू में उनके इस गीत को लेकर उत्साहित नहीं थे। साहगल के मुताबिक उस समय रहमान एक नए कलाकार थे और उनके साथ काम करना एक अलग अनुभव था। इस गीत के बोलों पर भी साहगल ने सवाल उठाए और कहा कि वे इसके कुछ हिस्सों से सहमत नहीं थे। यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।
बाबा साहगल ने अपने बयान में बॉलीवुड के रवैये पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि 90 के दशक में उनकी बुलंद आवाज और अनोखे अंदाज से बॉलीवुड के कई बड़े नाम असहज थे। साहगल का मानना है कि उनकी ऊर्जावान शैली और रैप म्यूजिक ने उस समय के पारंपरिक गीतों को चुनौती दी थी जिसके कारण उन्हें कई बार नजरअंदाज किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि रुकमणि जैसे गीतों ने न केवल दर्शकों का ध्यान खींचा बल्कि हिंदी सिनेमा में रैप म्यूजिक को लोकप्रिय बनाने में भी मदद की। साहगल के इस बयान को उनके प्रशंसक उनकी बेबाकी और आत्मविश्वास की मिसाल मान रहे हैं।
साहगल के इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। उनके प्रशंसकों ने उनकी स्पष्टवादिता की तारीफ की है जबकि कुछ यूजर्स ने उनके बयानों को विवादास्पद बताया। रुकमणि गीत आज भी 90 के दशक की यादों का हिस्सा है और इसे सुनकर कई लोग उस दौर में लौट जाते हैं। साहगल ने अपने करियर के इस महत्वपूर्ण पड़ाव को साझा कर एक बार फिर अपनी प्रासंगिकता साबित की है। उनका यह बयान न केवल उनके करियर की कहानी बयां करता है बल्कि उस समय के बॉलीवुड के माहौल को भी उजागर करता है। बाबा साहगल की यह टिप्पणी नई पीढ़ी को उनके योगदान को समझने का मौका दे रही है और हिंदी रैप म्यूजिक के इतिहास में उनकी भूमिका को फिर से रेखांकित कर रही है।