
सलमान खान के फैंस क्यों अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं ।आखिर इस बार भाई जान ने क्या गलती कर दी कि लोग थिएटर में फिल्म देखने जाने से बच रहे हैं।
जिन लोगों ने फिल्म देखा है उनका कहना है सिकंदर में कहानी के नाम पर कुछ भी नहीं है, बेमतलब की डायलॉग बाजी है।
लोगों ने इसे दो तरह से समझने की कोशिश की ।
पहली बात तो गजनी के डायरेक्टर ए आर मूर्ग दास ने निर्देशन किया है
और दूसरा ये कि प्रोड्यूसर साजिद नाडियावाला का साथ आना।
लोगों ने समझा गजनी के डायरेक्टर हैं तो इमोशनल ड्रामा तो होगा ही और नडियावाला के साथ का मतलब लोगों ने समझा —एक्शन
इसके अलावा सलमान खान का चेहरा और उनके फैंस तो थे ही ।
रिव्यू में लोगों का कहना है — फिल्म में ना एंटरटेनमेंट है, ना ड्रामा, ना स्टोरी ,न एक्शन, न इमोशनल सीन।
एक तरह से सिकंदर जैसी फिल्म ने सलमान खान के कैरियर को फिर बट्टा लगाने का काम किया है।
फिल्म देखने के बाद ऐसा लगा ही नहीं की कोई बड़े बजट की फिल्म है ।
फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत स्लो है। शुरुआत में तो ऐसा लगा फिल्म में ड्रामा के लिए यह सब किया गया है। लेकिन फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई, ऐसा लगा कि फिल्म में तो कुछ है ही नहीं । क्योंकि कहानी के नाम पर कुछ भी नहीं है क्योंकि फिल्म में अगर एंटरटेनमेंट है, तो कुछ ऐसे मूवमेंट भी होंगे जिससे लोग हंसने को मजबूर होंगे, या तगड़ा एक्शन होगा ,या इमोशनल सीन होंगे ,या ड्रामा बहुत ज्यादा होगा, या एक ऐसा टेंशन होगा ,जो फिल्म को बांध कर रख सके ।
सिकंदर में ऐसा कोई भी कोम्बों समझ में नहीं आया यानि सारा कोंबो चकनाचूर हो गया ।
ड्रामा तो है ही नहीं कुछ सीन्स में सलमान खान की आंखों में आंसू आए लेकिन वह दिल को पिघला ना सके। अगर फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत स्लो है तो दूसरा हाफ उतना ही कंफ्यूजिंग।
सलमान खान को मसीहा बनाने के चक्कर में कहानी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। कभी सलमान को मारधाड़ करते हुए दिखाते हैं, तो कभी आंखों में आंसू।
लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि यह कौन सा कैरेक्टर है ।
बड़ी फिल्मों में कभी-कभी कहानी के नाम पर कुछ नहीं होता। लेकिन एक चीज होती है वो ये कि लीड एक्टर की एक्टिंग।
फिल्म मेकर्स सारा पैसा उसे लीड एक्टर को चमकाने में लगा देते हैं। लेकिन सिकंदर में ऐसा कुछ भी नहीं लगा। ऐसा भी नहीं कि सिकंदर भाई जान ने एक्टिंग के नाम पर तहलका मचाया हो धमाल मचाया हो।
किसी का भाई किसी की जान इस रुप में भाई जान दिखे ।
गजनी वाले डायरेक्टर उनका एक प्रभावशाली व्यक्तित्व गजनी रहा ।लेकिन गजनी ने जिस कैरेक्टर को ब्लॉकबस्टर बनाया ,वह सिकंदर में नजर ही नहीं आया। लोगों को सिकंदर में सलमान से ज्यादा भरोसा ए आर मुर्ग पर था ।लोग उम्मीद कर रहे थे कि फिल्म गजनी जैसी धांसू बनेगी । लेकिन फिल्म इतनी ढीली है कि कहानी कहां है– कहानी को पकड़ ही ना सके ।
कुल मिलाकर एक महान निराशा वाली फिल्म जो दर्शकों को सिर्फ धोखा देती है। दर्शक बाहर आकर कंफ्यूज है। वैसे तो सलमान खान की फिल्मों की अगर चर्चा करें तो ट्यूबलाइट के बाद से ही उनकी बत्ती गुल हो रही है।