
10 जुलाई 2025: श्रावण मास की प्रतिपदा तिथि 2 दिन होने के कारण श्रावण के आरंभ को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
सावन का महीना बहुत पवित्र महीना माना जाता है । सावन का महीना भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है । इस मास के दौरान शिव मंदिरों में खास रौनक भी देखने को मिलती है । महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त रोजाना महादेव की पूजा अर्चना करते हैं। इस पूरे मा शिव की विशेष पूजा के साथ-साथ व्रत रखने का भी विधान है श्रावण का मास शिव का सबसे प्रिय मास है । इस पूरे मास भगवान शिव का जलाभिषेक करने से लेकर कावड़ यात्रा करना शुभ मानी जाती है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन माह के दौरान भगवान शिव की पूजा करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
आईए जानते हैं कब से शुरू हो रहा है सावन मास 11 जुलाई या 12 जुलाई से !
श्रावण मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक चलता है
इस श्रावण मास में प्रतिपदा की तिथि 2 दिन होने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
सावन माह का प्रारंभ
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ श्रावण माह आरंभ होगा, जो पूर्णिमा तिथि को समाप्त होगा। ऐसे में सावन 11 जुलाई से लेकर 9 अगस्त 2025 तक रहेगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रवण का महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर चलेगा 10 जुलाई को आसान की पूर्णिमा है जो 10 जुलाई की रात 1:36 से शुरू होकर 11 जुलाई की रात 2:06 तक रहेगी सनातन परंपरा में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है।
इस कारण श्रावण मास की प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई की रात 11:07 से प्रारंभ होकर 12 जुलाई की रात 2:08 तक रहेगी इसलिए 11 जुलाई से श्रावण मास की शुरुआत मानी जाती है ।
श्रावण मास के पहले दिन एक विशेष योग बन रहा है ,जिसे शिव वास योग कहते हैं ।इस शुभ संयोग में भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहते हैं।
आईए जानते हैं सावन के सोमवार के व्रत की तिथियां
14 जुलाई- पहला सोमवार व्रत
21 जुलाई – दूसरा सोमवार व्रत
28 जुलाई- तीसरा सोमवार व्रत
04 अगस्त- चौथा सोमवार व्रत
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
सावन के पहले सोमवार को पूजा के लिए पूरे दिन में चार शुभ मुहूर्त निर्धारित हैं।
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:16 से प्रातः 5:04
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:05 से दोपहर 12:58 तक
अमृत काल: दोपहर 12:01 से दोपहर 1:39 तक
प्रदोष काल: सायं 5:38 से सायं 7:22 तक
इनमें से शाम के प्रदोष काल को सबसे उत्तम माना जाता है, इसलिए सावन सोमवार के दिन सुबह पूजा के साथ-साथ प्रदोष काल में भी विशेष पूजा अवश्य करना चाहिए।