त्रिफला- गर्मियों में अनमोल उपहार..

त्रिफला तीन औषधियां के मिश्रण से बने चूर्ण को कहते हैं ।
हरड़ ,बहेड़ा और आंवला
त्रिफला एक अनमोल उपहार है। त्रिफला सर्व रोग नाशक, रोग प्रतिरोधक और आरोग्य प्रदान करने वाली औषधि है। त्रिफला से कायाकल्प होता है। त्रिफला एक श्रेष्ठ रसायन है, एंटीबायोटिक है ,एंटीसेप्टिक है ,आयुर्वेद का पेनिसिलिन भी है ।त्रिफला का प्रयोग शरीर में वात पित्त और कफ का संतुलन बनाए रखता है ।रोजमर्रा की आम बीमारियों के लिए बहुत ही प्रभावशाली औषधि है। सिर के रोग ,चर्म रोग ,रक्त दोष, मूत्र रोग, पाचन संस्थान में यह रामबाण है ।नेत्र ज्योति के लिए, बुद्धि को कुशाग्र करने वाला, शरीर को शोध करने वाला, एक उच्च कोटि का रसायन है ।

यह तीन चीजो से मिलकर बनता है। त्रिफला बनाने के लिए तीन मुख्य घटक हरड़ ,बहेड़ा और आंवला है ।इसे बनाने में अनुपात को लेकर अलग-अलग राय पाई गई है। कुछ विशेषज्ञों की राय है कि यह समान अनुपात में होना चाहिए ।कुछ विशेषज्ञों की राय है कि एक दो और तीन के अनुपात में होना चाहिए ।
एक आम स्वस्थ व्यक्ति के लिए 1 2 3 के अनुपात में जैसे —-हरण की मात्रा एक
बहेड़ा की मात्रा दो और
आंवला की मात्रा तीन
अनुपात में संतुलित और ज्यादा सुरक्षित होती है। इसे सालों साल सुबह या शाम एक-एक चम्मच पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है।सुबह के समय त्रिफला लेना पोषक होता है, जबकि शाम के समय यह पेट साफ करने वाला होता है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे

औषधि के रूप में त्रिफला चूर्ण के फायदे—- रात को सोते वक्त 5 ग्राम यानि एक चम्मच भर त्रिफला चूर्ण हल्के गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होती है
त्रिफला और ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लेने से कब्ज दूर होता है।
इसके सेवन से नेत्र ज्योति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।
सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण साफ मिट्टी के बर्तन में भिगोकर रखें ।शाम को छानकर पी ले।
फिर शाम को इस त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें इसे सुबह पी लें ।इस पानी से आंख भी धो ले ।
मुंह के छाले और आंखों की जलन कुछ ही समय में ठीक हो जाती है ।शाम को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को घोलकर इस पानी से आंखों को धोने से आंखों की ज्योति बढ़ती है ।

एक चम्मच बारीक त्रिफला चूर्ण, गाय का घी 10 ग्राम, शहद 5 ग्राम, एक साथ मिलाकर नियमित सेवन करने से आंखों का मोतियाबिंद ,कांच बिंदु, दृष्टि दोष और नेत्र दो नेत्र रोग दूर होते हैं। बुढ़ापे तक आंखों की रोशनी अचल रहती है ।

त्रिफला के चूर्ण को गोमूत्र के साथ लेने से पेट के अनेकों रूप दूर होते हैं ।शरीर के आंतरिक अंगों की देखभाल और सफाई त्रिफला चूर्ण के सेवन से होती है ।
चर्म रोग में, दाद ,खाज ,खुजली ,फोड़े ,फुंसी आदि हो तो सुबह शाम 6 से 8 ग्राम त्रिफला चूर्ण लेना चाहिए।
एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास पानी में दो-तीन घंटे के लिए भिगोकर रख दें। इस पानी को घुंट घुंट कर मुंह में थोड़ी देर के लिए डालकर मुंह में अच्छी तरह से कुल्ला करें ।त्रिफला चूर्ण से मंजन करने से दांत और मसूड़े की बीमारी नहीं होती। मुंह के छाले ठीक होते हैं। मुंह की दुर्गंध भी दूर होती है ।

सिर दर्द के लिए

हल्दी, त्रिफला, नीम के भीतर की छाल ,गिलोय –इन सब को मिलाकर इस मिश्रण को आधा किलो पानी में तब तक पकाएं जब पानी आधा रह जाए इसे छानकर कुछ दिन तक सुबह शाम को या शक्कर के साथ सेवन करने से सिर दर्द की समस्या दूर हो जाती है ।त्रिफला एंटीसेप्टिक की तरह भी काम करता है ।

घाव के लिए

1..इसका काढ़ा बनाकर घाव धोने से घाव जल्दी भर जाते हैं ।
2..त्रिफला पाचन और भूख को बढ़ाने वाला होता है। 3..लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ाने में वृद्धि करता है।4.. मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के गुनगुना कार्ड में शहद मिलाकर पीना चाहिए।
5..त्रिफला चूर्ण को पानी में उबालकर शहद मिलाकर पीने से चर्बी कम होती है ।

6..त्रिफला का सेवन से मूत्र संबंधी सभी विकारों और मधुमेह में बहुत लाभकारी है
7…त्रिफला की राख शहर में मिलाकर गर्मी से हुई त्वचा के चकत्तों पर लगाने से राहत मिलती है
5 ग्राम 8…त्रिफला पानी के साथ लेने से जिन रोग भी ठीक हो जाते हैं
9..टॉन्सिल्स के लिए त्रिफला के पानी से बार-बार गरारे करना चाहिए
10..त्रिफला दुर्बलता का नाश करता है स्मृति को बढ़ाता हैदुर्बलता के लिए हर बरखेड़ा वाला घी और शक्कर मिलाकर खाना चाहिए
11.तीन माह तक नियमित सेवन करने से चेहरे पर काम किया जाती है यह वृद्धावस्था को रोकने वाला आंखों की दृष्टि दोष रतौंधी मोतियाबिंद कांच बिंदु नेत्र रोगों से रक्षा करता है बाल घने मजबूत और काले होते हैं12.. डेढ़ माह तक त्रिफला का सेवन करने से बुद्धि बल स्मृति और वीर्य में वृद्धि होती है ।

13..दो माह तक सेवन करने से चश्मा भी उतर जाता है

14..त्रिफला सुबह शाम को खाली पेट गुनगुने पानी के साथ इसका सेवन करना चाहिए 1 घंटे बाद पानी के अलावा कुछ ना खाएं और इस नियम का पालन कठोरता से करें ।

त्रिफला के सेवन में क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए !!

1..दूध और त्रिफला के सेवन के बीच में दो से ढाई घंटे का अंतर हो ।
2..कमजोर व्यक्ति और गर्भवती स्त्री को बुखार में त्रिफला नहीं खाना चाहिए ।
3..घी और शहद कभी भी समान मात्रा में नहीं खाना चाहिए यह खतरनाक जहर होता है ।
4..त्रिफला चूर्ण के सेवन के 1 घंटे बाद तक चाय दूध काफी कुछ नहीं लेना चाहिए।
5.. त्रिफला चूर्ण हमेशा ताजा खरीद कर ही उपयोग करना चाहिए या घर पर ही अगर बना रहे हैं तो 3 से 4 माह तक सेवन कर लेना चाहिए ।
6..सीलन से बचा कर रखना चाहिए और सेवन करने के बाद पुनः नया चूर्ण बनाकर रखना चाहिए ।

कायाकल्प —-त्रिफला के इस्तेमाल से शरीर का कायाकल्प हो जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला के नियमित सेवन से कायाकल्प हो जाता है ।मनुष्य अपने शरीर का कायाकल्प करके सालों साल तक निरोग रह सकता है।
1..नियमित सेवन से शरीर चुस्त होता है।
2 ..नियमित सेवन से शरीर निरोगी होता है।
3 ..नियमित सेवन से नेत्र ज्योति बढ़ती है ।
4 …नियमित सेवन करने से त्वचा, सुंदर और कोमल होती है ।
5…. नियमित सेवन से बुद्धि का विकास होकर बुद्धि कुशाग्र होती है ।

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