
25 जुलाई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर फाइल्स फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लिया। जिसमें यह कहा गया है कि उदयपुर फाइल्स फिल्म पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।
अदालत ने हाई कोर्ट से इस पर फैसला देने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस फिल्म के रिलीज पर कोई टिप्पणी नहीं की है बल्कि इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट भेजा है और याचिका कर्ताओं को हाई कोर्ट में ही दलील देने के लिए कहा गया है। सोमवार से हाई कोर्ट में इस पर सुनवाई होगी । जिस पर फिल्म निर्माता ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है ।
इधर कपिल सिब्बल का कहना है उदयपुर फाइल्स को अभी इस रूप में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता।
सत्य घटना पर आधारित है फिल्म:
उदयपुर फाइल्स कन्हैयालाल के मर्डर पर बनी हुई फिल्म है कन्हैया लाल एक ट्रेलर था.।
जून 2022 को मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने कन्हैया लाल दर्जी की हत्या की थी। हमलावरों ने एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणी करने के समर्थन में कन्हैयालाल की हत्या की गई है।
इस घटना पर एक फिल्म उदयपुर फाइल्स बनाई गई। इस फिल्म के ट्रेलर के रिलीज होने पर जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी समेत कई अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि यह फिल्म मुस्लिम धर्म को बदनाम करती है। और फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने हेतु याचिकाएं लगाई गई।
जिसकी सुनवाई में केंद्र समिति ने 6 जगह दृश्य को हटाने का सुझाव दिया और कई जगह बदलाव की सिफारिश का आदेश दिया । फिल्मकार की ओर से सीनियर वकील गौरव भाटिया ने इसके पालन करने का आश्वासन भी दिया।
अब सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर फाइल्स कन्हैयालाल की फिल्म की रिलीज से जुड़ा हुआ मामला वापस दिल्ली हाई कोर्ट में भेज दिया है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट सोमवार से इस अपील पर सुनवाई करें।
मौलाना अरशद मदनी की ओर से नियुक्त किए गए कपिल सिब्बल वकील ने यह दलील दी कि इस रूप में फिल्म की रिलीज नहीं किया जा सकता।।
फिल्म कार की ओर से नियुक्त वकील गौरव भाटिया ने सुप्रीम कोर्ट से कहा फिल्म रिलीज के लिए 1200 स्क्रीन बुक की गई थी । काफी पैसा लगाया गया था । यह फिल्म सत्य घटना पर आधारित है । इस फिल्म से किसी की भावनाएं कैसे आहत हो सकती हैं। किसी की भावनाएं आहत होंगी यह यह सोचकर फिल्म की रिलीज पर स्टे लगाना सही नहीं है। सरकार की और केंद्र सेंसर बोर्ड की मंजूरी के बाद मेरा काफी निवेश बर्बाद हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म निर्माता को हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत से याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है।