
UP News: मुस्लिम वोटों के लिए उप्र में अब क्या करने जा रही है बीजेपी,दरअसल, यूपी में चुनाव का सेमीफाईनल होने जा रहा है…..और तैयारी चल रही है पंचायत चुनावों की ..यानि यूपी में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो चुकी है.. इसी बीच भाजपा ने चुनावों की तैयारी भी शुरू कर दी है…. आने वाले पंचायत चुनाव में हर पार्टी की नजर है खासतौर से मुस्लिम आबादी वाले गांवों पर …अब बीजेपी भी इन गांवों में भाजपा मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रही है… जिसकी जिम्मेदारी भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा को सौंपी गई है… खैर पंचायत चुनाव को अब कुछ ही समय बाकी है….है.. माना जाता है कि वोट प्रतिशत भी बाकी सभी चुनावों से इसमें बेहतर रहता है… इस चुनाव में राजनीतिक दल अपने सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकते… लेकिन फिर भी परोक्ष तौर पर सभी राजनीतिक दलों की सक्रिय भागेदारी पंचायत चुनाव में रहती है… वो अपनी विचारधारा से जुड़े लोगों को चुनाव लड़ाते हैं….. और उनकी मदद करती हैं… एक तरह से राजनीतिक दलों का संगठन काम करता है…. नेता प्रचार भी करते हैं…बस पार्टी का सिंबल नहीं रहता…. यूपी में करीब एक लाख गांव हैं और 57 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतें हैं… जिनमें छोटे-बड़े सभी गांव में हर वर्ग की आबादी रहती है… कुछ गांवों में MIX आबादी होती है… वहीं कुछ में किसी खास जाति, वर्ग का दबदबा होता है… भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुश्किल ऐसे गांव हैं, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है… जहां हिंदू ज्यादा हैं, वहां तो अपने कोर वोटर के साथ दूसरी जातियों का समीकरण साधकर भाजपा सफल हो जाती है… जिसमें सफलता भी मिलती है…ऐसे में इस बार भाजपा का खास ध्यान मुसलमानों पर है…लेकिन भाजपा में मुसलमान न के बराबर हैं… ऐसे में हिंदू प्रत्याशी का जीतना मुश्किल हो जाता है… यही वजह है कि भाजपा ने अब तय किया है कि जहां पर मुस्लिम आबादी बहुत ज्यादा है, वहां पर मुस्लिम प्रत्याशियों का समर्थन करना आगे के लिए फायदेमंद हो सकता है… जिसके चलते ही भरोसेमंद मुस्लिम प्रत्याशी और कार्यकर्ताओं की तलाश का जिम्मा अल्पसंख्यक मोर्चा को दिया गया है… और मोर्चा भी इस दिशा में काम कर रहा है… पार्टी की मानें तो 57 हजार ग्राम पंचायतों में से तीन हजार ऐसी होगी, जो मुस्लिम बहुल है… वहीं, करीब एक लाख गांवों में से कम से कम सात हजार गांव तो ऐसे होंगे, जिनमें मुस्लिम आबादी 70 परसेंट से ज्यादा है…अब आप सोच रहे होंगे की भला भाजपा को मुस्लिम वोटों की जरूरत क्यों पड़ गई…तो इसका जवाब भी साफ है…..और वो ये कि जिला पंचायत..पूरे सरकारी सिस्टम की सबसे छोटी ईकाई होती है…..ऐसे में अगर इस ईकाई पर फोकस किया जाए..तो इससे शहर के वोटों के अलावा किसी भी पार्टी को गांव के वोट भी मिलते हैं…जो संख्या में काफी होते हैं……मुसलमानों के वोट बीजेपी को न के बराबर मिलते हैं फिर भी भाजपा का ये पहला प्रयास है..ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि क्या भाजपा का ये प्रयास सफल होती है..या नहीं…