
19 जुलाई 2025: सावन का पवित्र महीना चल रहा है। इस पूरे मास भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से कई गुना फलों की प्राप्ति होती है ।भगवान शिव हमारी मनोकामना पूर्ण करते हैं ।
सभी जानते हैं कि भगवान शिव की प्रिय वस्तु बेलपत्र है । ऐसा माना जाता है कि शिव पूजा बिना बेलपत्र चढ़ाये पूरी नहीं होती।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था तब उसमें सबसे पहले विष निकला । जिससे पूरे विश्व पर संकट मंडराने लगा । तब भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष का पान किया।
विष की गर्मी से शिव के शरीर का तापमान बढ़ने लगा । इस विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए सभी देवताओं ने शिवाजी पर गंगाजल, दूध, दही से अभिषेक किया और उन्हें बेलपत्र खिलाए । तब से बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा बन गई।
बेलपत्र चढ़ाने के भी हैं नियम :
सभी धार्मिक ग्रंथो में देवी देवताओं की पूजन के अलग-अलग नियम बताए गए हैं। इसी तरह शिव पर बेलपत्र चढ़ाने के भी कुछ नियम है। इसके अनुसार —
1..बेलपत्र को हमेशा तीन पत्तियों वाला होना चाहिए ।
2..इसके अलावा कोई भी पत्र कटा फटा नहीं होना चाहिए ।
3..बेलपत्र को हमेशा चिकनी तरफ से ही शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए 4..इसके अलावा केवल विषम संख्या वाले बेलपत्र जैसे 3 5 7 विषम संख्या वाले बेलपत्र चढ़ाने चाहिए ।
5..तीन पत्तों वाला बेलपत्र त्रिदेव के रूप में माना जाता है।
6..इसके अलावा बेलपत्र को हमेशा साफ पानी से धोकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
7.. ऐसा माना जाता है कि बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। इसे दोबारा से धोकर फिर से शिवजी पर चढ़ाया जा सकता है।
8.. बेलपत्र चढ़ाने से शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूर्ण करते हैं।
9..यदि बेलपत्र ना मिले तो पुराने बेलपत्र को धोकर भी शिवलिंग पर चढ़ाया जा सकता है इसके अलावा इसके शमी के पत्ते भी शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
- शिवलिंग पर पहले जल चढ़ाना चाहिए उसके बाद बेलपत्र और अन्य सामग्री चढ़ाई जाती है।
- बेलपत्र पर चंदन से ओम नमः शिवाय लिखना शुभ माना जाता है।
12.. भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु बेलपत्र पर राम नाम लिखना शुभ मानते हैं। क्योंकि भगवान राम को भगवान शिव अपना आराध्य मानते हैं इसलिए बेलपत्र पर राम नाम लिखने से शिव जी अति प्रसन्न होते हैं और शिवजी की कृपा प्राप्त होती है।