संन्यास की उम्र में लालू का RJD अध्यक्ष पद के लिए नामांकन, क्या तेजप्रताप-तेजस्वी पर नहीं है विश्वास?

पटना। बिहार में राजनीतिक सुगबुगाहट तेज है। इधर, संन्यास की उम्र में RJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए लालू प्रसाद यादव ने नामांकन भर दिया है। वहीं, दूसरी तरफ पार्टी में चल रहे आंतरिक घमासान भी सामने आ रहे हैं। इनमें खुद लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव शामिल है, जिन्होंने खुलकर पार्टी में साजिश करने वालों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

वहीं पार्टी में आंतरिक विवाद, खुद लालू परिवार में मची कलह के बाद से RJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए 13वीं बार लालू प्रसाद यादव की तरफ से नामांकन भरने के बाद से सवाल उठ रहे हैं, कि आखिर ऐसा क्या है कि इतने वक्त बीत जाने के बाद भी आरजेडी तेजस्वी यादव या तेजप्रताप यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बना रही है। क्यों पार्टी किडनी ट्रांसप्लांट जैसी गंभीर स्वास्थ्य दिक्कतों को नजरंदाज कर लालू को पार्टी का सर्वेसर्वा बना रहने देना चाहती है। इससे इतर पिछले चुनावों से तेजप्रताप और तेजस्वी ने बकायदा मोर्चे पर पार्टी को संभाल रखा हुआ था।

आखिर चल क्या रहा है पार्टी के भीतर: दरअसल, देखा जाए तो अभी कुछ दिनों पहले दो ऐसी बातें निकलकर सामने आईं, जिसने सभी को हैरान कर दिया। पहला तेजप्रताप यादव को आरजेडी से बाहर करना और दूसरा तेजस्वी यादव का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आधिकारिक घोषणा करना। इनके अलावा अगर देखा जाए तो पूरी आरजेडी में कोई ऐसा नहीं है, जो पार्टी की संभाल सके, इस पर गंभीर सवाल फिलहाल उठ रहे हैं। किसी ने भी लालू प्रसाद यादव के खिलाफ पार्टी अध्यक्ष का पर्चा नहीं भरा है। ऐसे में उनका राष्ट्रीय बनना भी तय माना जा रहा है। खुद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने एक बयान देकर स्पष्ट किया था कि लालू प्रसाद यादव ही राष्ट्रीय अध्यक्ष रहेंगे।

उन्होंने कहा, संगठन की यही इच्छा है। लालू यादव ही पार्टी की कमान संभाले रखें। उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती, लेकिन इसका पार्टी के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ता।

पॉलिटिक्ल एक्सपर्ट संगीता श्रीवास्तव की मानें, तो लालू प्रसाद यादव की जगह जगदानंद सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की सुगबुगाहट थी। ये मांग खुद तेजस्वी यादव ने की थी। इस पर लालू प्रसाद यादव की भी सहमति दिख रही थी। साथ ही जगदानंद की तारीफ खुद लालू प्रसाद यादव ने उनके पार्टी में दिए योगदान को लेकर की थी। ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे थे, कि आरजेडी में राष्ट्रीय स्तर पर जगदानंद को बड़ी जिम्मेदारी मिलने जा रही है। हालांकि अब तस्वीर साफ है और 5 जुलाई को औपचारिक घोषणा भी की जाएगी।

तेजप्रताप के बयानों में छुपी आंतरिक कलह?: जिस हिसाब से पार्टी को लेकर कुछ बातें निकलकर सामने आई हैं, उनमें तेजप्रताप की बयानबाजी और उनकी पार्टी से बेदखली आंतरिक कलह की बड़ी तस्वीर पेश कर रही है। दरअसल, तेजप्रताप यादव का अनुष्का से कथित वीडियो वायरल होने और आरजेडी-परिवार के तरफ से बेदखल होने का ऐलान किया था। लालू प्रसाद ने कहा था कि नैतिक मूल्यों की अवेहलना संघर्ष को कमजोर करेगा। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि तेज प्रताप यादव की गतिविधियां, लोक आचरण और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। इस वजह से उन्हें पार्टी और परिवार से दूर करने का फैसला लिया गया।

‘मेरी जान का खतरा’: वहीं, इधर तेज प्रताप यादव ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, ‘अभी मैं असुरक्षित महसूस कर रहा हूं। मैं सरकार से अपील करता हूं कि मेरी सुरक्षा बढ़ाई जाए। हमारे दुश्मन हर जगह लगे हुए हैं… मेरी जान को खतरा है।’

‘जिस तरीके से प्रकरण हुआ, किन लोगों के माध्यम से साजिश करके मुझे पार्टी से निकाला गया, ये बिहार की पूरी जनता ने देखा। पूरी जनता मेरा स्वभाव जानती है, इसी का गलत फायदा उठाकर मुझे कुछ लोगों ने दबाने की कोशिश की। तेज प्रताप यादव दबने वाला नहीं है। मैं कुछ लोग जो वहां बैठे हैं उन्हें चुनौती देता हूं। मैं अब जनता के बीच जाऊंगा, जनता न्याय करेगी। मेरे निजी जीवन पर लोगों ने सवाल किया। ये कोई बर्दाश्त नहीं करेगा।’

‘मुझे संगठन, परिवार, पार्टी हर तरीके से निकाल दिया गया हैं। मैंने कभी किसी के लिए गलत नहीं सोचा है। हमेशा माता-पिता का सम्मान किया है। तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बने ये एक बड़े भाई का आशीर्वाद है। मेरा पूरा सहयोग है वे आगे बढ़ें।’

एक्सपर्ट्स की मानें तो शायद तेजप्रताप यादव पार्टी की कमान अपने हाथ में लेना चाहते हों? या फिर तेजस्वी यादव भी अपनी मांग इस पद के लिए रख रहे हैं। क्योंकि हाल ही के तेजप्रताप के बयान भी पार्टी में एक गहरी साजिश की तरफ ईशारा कर रहे हैं। हो सकता है कि शायद तेजस्वी यादव समेत कुछ लोग नहीं चाहते हों, या खुद लालू प्रसाद यादव नहीं चाहते हों कि तेजप्रताप को पार्टी की कमान सौंपी जाए।

क्योंकि इस आंतरिक कलह के पहले माना जा रहा था कि जगदानंद सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हो सकते हैं। बस औपचारिक घोषणा होना बाकी। लेकिन जब पारिवारिक फूट सामने आई तो पहले पार्टी और परिवार से तेजप्रताप को बेदखल किया गया। दूसरा उम्र के आखिरी पड़ाव में खुद लालू प्रसाद यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की कामना एक बार फिर जागृत हो गई हो। क्योंकि संन्यास की इस उम्र में 28 सालों से पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान लालू क्यों पार्टी के लिए नया कमांडर नहीं चाहते हैं?

RJD के नए वारिस पर सवाल क्यों? : दरअसल, RJD के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को स्वास्थ्य दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनका किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन भी हो चुका है। इसके अलावा जब उन्हीं के साथी रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बात की जाए तो उन्होंने अपनी पार्टी की जिम्मेदारी समय रहते अखिलेश यादव को सौंप दी थी। कई बार मंचों पर दोनों के बीच तनातनी भी देखने को मिली थी।

वहीं, इधर तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव अपने पिता लालू प्रसाद यादव को हमेशा सम्मान देते नजर आते हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर क्यों पार्टी की कमान लालू प्रसाद यादव अपने बेटे या किसी नए चेहरे को नहीं सौंपना चाह रहे हैं।

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