क्या मध्य प्रदेश में AI बदलेगा कांग्रेस की किस्मत, क्या है कांग्रेस की नई रणनीति ?

लगातार हार और नेताओं के पार्टी बदलने से परेशान होकर कांग्रेस पार्टी ने अब नया तरीका खोजा है. बता दें कि अब मध्य प्रदेश कांग्रेस तकनीक से करेगी सशक्तिकरण दरअसल इन दिनों चुनावी हार और पार्टी नेताओं के पलायन और से जूझ रही है. इन सभी चुनौतियों से उबरने के लिए पार्टी अब Digital Transformation की राह पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है. पार्टी ने तय किया है कि वह अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI और सोशल मीडिया हैंडलिंग जैसी आधुनिक तकनीकों में प्रशिक्षित करेगी, जिससे वो मौजूदा राजनीतिक माहौल के हिसाब से खुद को ढाल सकें.

9 से 15 जून तक चलेगा डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रम:

कांग्रेस पार्टी ने एक विशेष training कार्यक्रम का आयोजन किया है, जो 9 जून से 15 जून तक चलेगा इस 6 दिन के प्रोग्राम के दौरान राज्य के सभी विधायकों, जिला अध्यक्षों, विधानसभा क्षेत्र और जिला प्रभारियों को DIGITAL SKILLS में Trained किया जाएगा. इस कार्यक्रम के अंदर उन्हें सोशल मीडिया के कुशल उपयोग, गलत सूचनाओं की पहचान और AI के व्यावहारिक उपयोग की जानकारी दी जाएगी.
प्रशिक्षण के लिए नामित सभी सदस्यों से शुल्क लिया जाएगा और उन्हें एक साथ रहकर प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा. पार्टी का मानना है कि तकनीकी दक्षता से कार्यकर्ताओं और नेताओं में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास आएगा, जिससे संगठन की स्थिति मजबूत होगी.

पारंपरिक कामकाज से बाहर निकलने की जरूरत:
हाल ही में मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के बीच हुई बैठक में यह स्वीकार किया गया कि पार्टी का काम करने का तरीका अब पुराना हो चुका है और वर्तमान दौर में यह अप्रासंगिक होता जा रहा है. नेताओं ने माना कि पार्टी के कई सदस्य तकनीकी दक्षता और डिजिटल संवाद में पिछड़ रहे हैं.
इस बैठक के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि कांग्रेस को न सिर्फ वैचारिक रूप से मजबूत बनाना होगा, बल्कि तकनीकी रूप से भी सक्षम करना होगा, जिससे वह भारतीय जनता पार्टी जैसी digitally equipped पार्टी से प्रतिस्पर्धा कर सके.
यानी कांग्रेस पार्टी अब अपने इतिहास और संघर्षों को आधार बनाकर आधुनिक राजनैतिक युद्ध की रणनीतिक तैयार कर रही है. ऐसे में इस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम कांग्रेस के लिए नई शुरुआत साबित हो सकता है, जो पार्टी को सिर्फ तकनीकी रूप से नहीं बल्कि संगठनात्मक रूप से भी मजबूत बनाएगा. अब देखना यह होगा कि यह प्रयोग जमीनी स्तर पर कितना कारगर साबित होता है.

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