
नए नियमों के साथ शिक्षा व्यवस्था में होगा बदलाव
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में मदरसा शिक्षा को आधुनिक और पारदर्शी बनाने के लिए नए नियम लागू करने की घोषणा की है। यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 में संशोधन के तहत, मदरसों की मान्यता के लिए सख्त दिशानिर्देश और शैक्षणिक सुधार लागू किए जाएंगे। इस कदम का उद्देश्य मदरसा शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप लाना और 13 लाख से अधिक छात्रों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना है।
नए नियम और सुधार: क्या बदलेगा?
योगी सरकार ने हाल ही में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है, जिसे एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। इस समिति का फोकस मदरसों में शैक्षणिक और प्रशासनिक पारदर्शिता लाना है। प्रमुख बदलावों में शामिल हैं:
अनिवार्य विषय: अब मदरसों में दीनी तालीम के साथ-साथ कक्षा 10 तक हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, और कंप्यूटर जैसे विषयों को अनिवार्य किया जाएगा। इन विषयों को NCERT और SCERT पाठ्यक्रम के तहत पढ़ाया जाएगा।
मान्यता की सख्त शर्तें: 2024 के सर्वे में खुलासा हुआ कि यूपी में 8,449 मदरसे बिना सरकारी मान्यता के चल रहे हैं। अब मान्यता के लिए सख्त नियम लागू होंगे, जिसमें बुनियादी ढांचे, शिक्षकों की योग्यता, और वित्तीय पारदर्शिता की जांच होगी।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और निगरानी: सभी मदरसों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। शिक्षकों, छात्रों, और प्रबंधन समिति की जानकारी को पारदर्शी बनाया जाएगा।
राष्ट्रीय गान अनिवार्य: 2022 में लागू नियम के तहत, सभी मदरसों में राष्ट्रीय गान गाना अनिवार्य है, और इसे और सख्ती से लागू किया जाएगा।
अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई: इंडो-नेपाल सीमा के 10 किमी के दायरे में सरकारी जमीन पर बने 225 मदरसों, 30 मस्जिदों, 25 मजारों, और 6 ईदगाहों पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पहले ही शुरू हो चुकी है।
क्यों जरूरी हैं ये बदलाव?
यूपी में करीब 16,000 मदरसे हैं, जिनमें 13.57 लाख छात्र पढ़ते हैं। इनमें से 560 मदरसे सरकार से अनुदान प्राप्त करते हैं, जिनमें 9,500 शिक्षक कार्यरत हैं। योगी सरकार का कहना है कि कई मदरसे केवल मजहबी शिक्षा केंद्र बनकर रह गए हैं, जो छात्रों को आधुनिक और रोजगारपरक शिक्षा से वंचित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “मदरसों को केवल धार्मिक शिक्षा तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इन्हें आधुनिक शिक्षा का केंद्र बनाना होगा, ताकि छात्र मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
विवाद और प्रतिक्रियाएं
इन सुधारों को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ लोग इसे शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं। एक X पोस्ट में यूजर ने लिखा, “योगी सरकार का यह कदम ऐतिहासिक है। मदरसा शिक्षा में पारदर्शिता और आधुनिकता जरूरी है।” वहीं, कुछ संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है। एक अन्य X पोस्ट में कहा गया, “यह सिर्फ मदरसों को निशाना बनाने का तरीका है, जबकि शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों में निवेश की जरूरत है।”
विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी, ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि यह कदम अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिए पर धकेलने की कोशिश है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह सुधार सभी छात्रों के हित में हैं और इसका मकसद शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना है।
पिछले प्रयास और संदर्भ
योगी सरकार ने पहले भी मदरसा शिक्षा में सुधार के लिए कदम उठाए हैं। 2018 में, NCERT की किताबें हिंदी, अंग्रेजी, और उर्दू में लागू की गई थीं। 2022 में, राष्ट्रीय गान और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया। 2024 में हुए सर्वे ने बिना मान्यता वाले मदरसों की संख्या उजागर की, जिसके बाद सरकार ने सख्ती बढ़ाई।