यमुना नदी के पानी में घुला जहर

यमुना नदी की स्थिति चिंताजनक

फरवरी में यमुना नदी के प्रदूषित स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है। दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार, फेकल कोलीफॉर्म और बायोलॉजिकल ऑक्सिजन डिमांड मानकों से काफी अधिक हैं, जिससे नदी की पानी की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है।
फरवरी में यमुना के दिल्ली स्ट्रेच की हालत काफी खराब हो गई है। नदी के पानी की क्वॉलिटी इस दौरान काफी अधिक खराब रही। खासतौर पर नदी में फेकल कोलीफॉर्म और बायोलॉजिकल ऑक्सिजन डिमांड की स्थिति चिंताजनक हैं। दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमिटी ने फरवरी में यमुना प्रदूषण की रिपोर्ट जारी कर दी है।

डीपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार असगरपुर में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर 16 मिलियन यूनिट प्रति 100 एमएल रहा। यह सीपीसीबी के तय मानकों से 6400 गुणा अधिक है। दिसंबर 2020 के बाद से यह स्तर सबसे अधिक दर्ज हुआ है। दिसंबर 2020 में इसका स्तर 1.2 बिलियन यूनिट प्रति 100 एमएल रहा था। एक अधिकारी के अनुसार यमुना की यह स्थिति लंबे समय तक अनट्रीटेड सीवेज और इंडस्ट्रियल वेस्ट के घुलने से हुई है।
ह्यूमन वेस्ट से पानी में आने वाले बैक्टीरिया को फेकल कोलीफॉर्म कहते हैं। बीते कुछ माह के दौरान यमुना में फेकल कोलीफॉर्म के स्तर में लगातार इजाफा हो रहा है। दिसंबर 2024 में इसका स्तर 8.4 मिलियन यूनिट प्रति 100 एमएल था। यह फरवरी में 16 मिलियन यूनिट प्रति 100 एमएल हो गया है।
नदी में बीओडी का स्तर भी चिंताजनक बना हुआ है। बीओडी ऑक्सिजन का वह स्तर है जो जलीय जीवों के लिए आवश्यक है। बीओडी का स्तर जितना कम होगा जलीय जीवों के पानी में रहने की संभावना उतनी अधिक होगी। नदी में बीओडी का स्तर 3 एमजी प्रति लीटर या इससे कम होना चाहिए। इसकी जांच दिल्ली में 8 जगहों पर की गई। पल्ला में इसका स्तर 6एमजी प्रति लीटर मिला। जबकि असगरपुर में इसका स्तर 72 एमजी प्रति लीटर था। यह मानकों से 24 गुणा अधिक है। डिजॉल्वड ऑक्सिजन का स्तर भी सिर्फ पल्ला में ही मानकों को पूरा कर सका। डीओ नदी के पानी में ऑक्सिजन का मौजूदा स्तर है। यह 5 एमजी प्रति लीटर या इससे अधिक होना चाहिए। पल्ला में इसका स्तर 6 एमजी प्रति लीटर रहा। वजीराबाद में यह 5.3 एमजीप्रति लीटर रहा। इसके बाद सभी 6 पॉइंट्स पर इसका स्तर शून्य रहा।

एनजीटी के निर्देश पर डीपीसीसी यमुना की मंथली वॉटर क्वॉलिटी रिपोर्ट जारी करती है।वही इसके लिए दिल्ली में यमुना से 8 जगहों पर पानी के सैंपल लिए जाते हैं।

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