नेपाल इकलौता ऐसा देश है, जो 2008 तक एक हिन्दू राष्ट्र था

नेपाल इकलौता ऐसा देश है, जो 2008

नेपाल इकलौता ऐसा देश है, जो 2008 तक एक हिन्दू राष्ट्र था… लेकिन, अब नेपाल हिन्दू राष्ट्र नहीं रहा…और हिंदु राष्ट्र की मांग यहां तेज हो चली है….जनता का हुजूम सड़कों पर देखा जा रहा है…सड़के …घर द्वार सब भगवा हो चला है….. 16 साल के बाद नेपाल में एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की मांग की जा रही है… लोकतंत्र बहाली की मांग ने देश की वामपंथी पार्टियों के लिए अब खतरे की घंटी बजा दी है…..देखा जाए तो यदि ये मांग और तेज होती है …ये आंदोलन और भी तेज होता है तो नेपाल की राजनीति के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित होगा… औऱ वामपंथी दलों के सामने फिर सत्ता बचाने की बड़ी चुनौती होगी… दूसरी ओर, भारत भी अपने पड़ोसी देश के सियासी हालातों पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि नेपाल में अगर बदलाव होता है …तो ये मानकर चलिए क्षेत्रीय संतुलन को ये जरूर असर कर सकता है…..अब सवाल ये उठ रहा है कि वाकई क्या नेपाल फिर से हिन्दू राष्ट्र बनेगा …या राजतंत्र की वापसी होगी ? इसका उत्तर ढुढ़ना थोड़ा जल्दबाजी होगी….लेकिन सड़कों पर जो जनसैलाब उमड़ा है वो इस बात की गवाही दे रहा है कि नेपाल एक बड़े बदलाव की देहरी पर खड़ा है…..इधर जनसैलाब देखकर वामपंथियों की नींद उड़ गई है …उनकी इस हताशा और निराशा को समझने की कोशिश करें तो ये बात सच है कि इश समय नेपाल में वामपंथियों का शासन चल रहा है लेकिन यहां की आम जनता अब इनके विचारों से ऊब चुकी है….और भी लोकतंत्र पर भरोसा करती है…क वाकया आपको बताते हैं.. नेपाल के 77 वर्षीय पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह…जब पोखरा काठमांडू वापस लौटे तो देश की जनता ने एयरपोर्ट पर उनका दिल से अभिनंदन किया…अपने राजा को देखकर जनता भावुक हो गई और नारे लगाने लगी राजमहल खाली करो,….राजा आओ देश बचाओ और हिन्दू राष्ट्र जिंदाबाद…..के नारे लगाये…. एअरपोर्ट पर ऐसा नजारा देखकर नेपाल के वामपंथी नेताओं के पैरों तले जमीन खिसक गई…आनन फानन में एक बऐठक की…इस बैठक में सभी वामपंथी नेताओं ने ये तय किया कि राजशाही को देश में वापस नहीं आने देंगे…. वामपंथी विचारधारा पर अक्सर… लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को दबाने के आरोप लगते रहे हैं…..लोकतंत्र की बात करना केवल देश की जनता के आक्रोश को शांत करने और अपनी सत्ता को बचाने की रणनीति हो सकती है…इसीलिए अब ओली भी लोकतंत्र की दुहाई देने लगे हैं…और नेपाल में सड़कों पर जनता के उतरने को बाहरी शक्तियों का दखल बताने लगे…खास बात ये देखी गई कि नेपाल की सड़कों पर राजा ज्ञानेंद्रशाह के साथ साथ यूपी के फायर ब्रांड नेता …हिंदुत्व की पहचान रखने वाले उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ के पोस्टर भी रैली में देखे जा रहे हैं….हिंदू राष्ट्र की मांग में योगी की एंट्री ने वामपंथियों को सकते में डाल दिया है…उनसे न कुछ कहते बन रहा है औऱ न कुछ करते बन रहा है…. 2008 में नेपाल में लोकतंत्र बहाली के बाद भारत के इस पड़ोसी देश में लगातार राजनीतिक अस्थिरता रही है…. यहां 2008 के बाद से सरकारें लगातार बदलती रहीं…अब 13 सरकारें बदल चुकी हैं… नेपाल की जनसंख्या लगभग 4 करोड़ के आस पास है… है जिसमें 80 प्रतिशत से ज्यादा जनता हिन्दू है… नेपाल ने 250 वर्ष पुरानी राजशाही को बदलने में कई त्याग किए… बड़े आंदोलनों की वजह से यहां का फलता फूलता पर्यटन समाप्त हो गया… अर्थव्यवस्था चौपट हो गई … हजारों लोगों की जान चली गई है. बहरहाल हालात बदल गये हैं….सियासत की तासीर बदल गई है औऱ नेपाल की जनता हिंदु राष्ट्र की मांग कर रही है जिसकी वजह से कम्युनिस्ट लाल हो रहा है….

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