सौगात ए मोदी से लगेगी मुस्लिम वोटों में सेंध

वक्फ संशोधन बिल की वजह से मुस्लिम संगठनों की नाराजगी का सामना कर रही बीजेपी ने उनके घाव पर मरहम लगाने की फिर कोशिश की है….फिर एक बार वही दांव चलने की कोशिश की है…ताकि मुस्लिम वोटों पर सेंध लगाई जा सके…..बीजेपी के सलाहकार बार बार वही योजनाएं लेकर आते हैं ताकि मुसलमानों को खुश किया जा सके…..पहले भी पसमांदा मुसलमानों के लिए कुछ ऐसे ही लोक लुभावन तोहफे देती आई है …बीजेपी बहुत जल्दी भूल गई है लेकिन याद दिला देते हैं लोकसभा चुनाव में कितना असर हुआ था…कितने वोट बीजेपी को मिले ऐसी सौगातों ने आखिर कितने वोट दिलाए थे खासकर यूपी में…..दो सीटों से निकलकर जब एक समय ऐसा आया है बीजेपी ने लगातार दूसरी बार वही पीएम बनाया…जिसे हिंदुत्व की विचारधारा जोपर वोट मिले….वही अब ईद पर सिर्फ मुसलमानों को किट बांट रहे हैं….अब वक्फ पर कानून तो बनेगा लेकिन उसकी राजनीति में एक झलक तुष्टिकरण की भी देखने को मिल सकती है…..दरअसल, हिंदुत्व के नाम पर चुनाव जीतने वाली BJP ईद के मौके पर 32 लाख मुसलमानों को सौगात-ए-मोदी किट दे रही है.. इस किट में कपड़े, दाल, चावल, सेवइयां, सरसों का तेल, चीनी और खजूर शामिल है….. लेकिन BJP फिलहाल. कुछ संगठनों ने तो BJP के सहयोगी नीतीश कुमार के इफ्तार कार्यक्रम का ही बहिष्कार कर दिया.. लेकिन अब एक किट ने बहस छेड़ दी है बहस है कि क्या सरकार किट के बहाने मौलानाओ से राजनीतिक हिट लेना चाहती है.. इसे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा हैं…लेकिन इस सवाल के जवाब से पहले बिहार का राजनीतिक इतिहास जानना बेहद जरूरी है…साल 1990 RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सत्ता में काबिज होने के लिए ‘MY’ फॉर्मूला ईजाद किया..और ऐसा देखा गया है कि पूरी बिहार की राजनीति इस फॉर्मूले के ईर्द-गिर्द रही है…अक्टूबर 2023 में जारी हुए बिहार की जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 17.7% मुस्लिम और 14.26% यादव आबादी रहती है.. इसलिए बिहार में सत्ता की चाह रखने वाली कोई भी पार्टी मुस्लिम और यादव वोट बैंक को नजरअंदाज नहीं कर सकती..लेकिन ऐसा देखा गया है कि भाजपा एक मात्र ऐसी पार्टी है जो स्टेट से ज्यादा नेशनल लेवल पर सोचती है…..अगर आपको याद हो तो भाजपा का झुकाव मुसलमानों की तरफ पहले से है..मोदी कभी पासमांदा मुसलमानों को साधते हैं तो कभी सूफी संगीत सुनते हैं..साल 2023 पीएम मोदी ने ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के दौरान पसमांदा मुसलमानों का मुद्दा उठाया था..जिसके चलते उन्होंने कहा था कि वोटबैंक की राजनीति करने वालों ने पसमांदा मुसलमानों को तबाह कर दिया है.. हालांकि, ऐसा पहली बार था जब पीएम ने इस समाज के बारे में बात की थी.. दरअसल, भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पीएम ने भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को पसमांदा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने के लिए भी कहा था.. अब अगर टाईमलाईन में थोड़ा आगे जाएं तो पता चलता है कि पीएम मोदी एक सुफी कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे…जहां उन्होंने सुफी संगीत का आनंद लिया…लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या भाजपा अपनी IDEOLOGY में थोड़ा सा बदलाव करके एक बड़ा वोटबैंक अपने कब्जे में लेना चाहती है और क्या इन कार्यक्रमों से और स्कीम्स् से सच में भाजपा को फायदा होगा….तो इसका जवाब भी साफ है…दरअसल, पासमांदा मुसलमान मुस्लिम वोटों का 85 फीसद हिस्सा है..अब अगर एक आकलन लगाया जाए तो इन 85 फीसद में से भाजपा कम से कम 20 फीसद वोट तो कनवर्ट करने में सक्षम रहेगी लेकिन 65 फीसद वोट अभी भी भाजपा को नहीं मिलेंगे..इसके अलावा भाजपा को ये बात भी अच्छे से समझ में आ गई है कि कोर हिंदू वोटर्स के पास भाजपा के अलावा कोई और दूसरा OPTION नहीं है……लेकिन इतना भी तय ज्यादा मुस्लिम वोट हासिल करने के फेर में कहीं बीजेपी का कोर वोटर न रूठ जाए वो कांग्रेस को वोट तो नहीं देगा लेकिन बीजेपी को भी नहींदेगा….वो घर बैठ जायेगा…

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