मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा ऐलान

ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं तो कार मालिक को जेब से चुकानी होगी दुर्घटना की भरपाई

हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि दुर्घटना में मृतक ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, इसलिए बीमा कंपनी बीमा राशि वाहन मालिक से वसूल सकती है। बीमा कंपनी ने यह साबित करने की जिम्मेदारी कंपनी पर डाली है कि बीमा की शर्तों का उल्लंघन हुआ है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा है कि अगर बीमा कंपनी कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाती है, तो उसे यह साबित करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर दुर्घटना में मरने वाले ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं था, तो बीमा कंपनी वाहन मालिक से बीमा राशि वसूल सकती है। यह फैसला श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी की एक अपील पर आया, जिसमें कंपनी ने एक दुर्घटना में मारे गए ड्राइवर की विधवा पत्नी को मुआवजा देने के श्रम न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।

श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने हाईकोर्ट में एक अपील दायर की थी। यह अपील रीवा के श्रम न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ थी, जिसमें दुर्घटना में मारे गए ड्राइवर की पत्नी को मुआवजा देने का फैसला सुनाया गया था। कंपनी का कहना था कि मृतक ड्राइवर शिवकुमार रावत के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। उसे अनावेदक श्रीकांत सिंह ने ड्राइवर के तौर पर रखा था। कंपनी ने तर्क दिया कि यह बीमा शर्तों का उल्लंघन है और इसलिए कंपनी पर बीमा राशि देने की कोई जिम्मेदारी नहीं है।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान, जस्टिस अग्रवाल की एकलपीठ ने वाहन मालिक को ड्राइवर का लाइसेंस पेश करने का आदेश दिया था। लेकिन, वाहन मालिक आदेश के बावजूद भी मृतक ड्राइवर का लाइसेंस पेश नहीं कर पाया।

जस्टिस अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा कि ड्राइवर शिवकुमार रावत की मौत वाहन के पलटने से हुई थी। इसका मतलब है कि वाहन चल रहा था। उन्होंने कहा कि वाहन चलाने के लिए वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आम तौर पर बीमा कंपनी को यह साबित करना होता है कि बीमा अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन हुआ है। लेकिन, इस मामले में वाहन मालिक ने कार्यवाही में भाग लिया था। इसलिए, यह साबित करने की जिम्मेदारी उसी पर थी कि मृतक के पास ड्राइविंग लाइसेंस था।
कोर्ट ने कहा कि आदेश के बावजूद भी वाहन मालिक मृतक का ड्राइविंग लाइसेंस पेश नहीं कर पाया। इसलिए, एकलपीठ ने पहले के मुआवजे के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने बीमा कंपनी को मृतक की विधवा पत्नी सरोज रावत को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि बीमा कंपनी यह राशि वाहन मालिक से वसूल सकती है। अपीलकर्ता कंपनी की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार जैन ने पैरवी की। उन्होंने कंपनी की तरफ से दलीलें पेश कीं और अदालत को बताया कि वाहन मालिक ने बीमा शर्तों का उल्लंघन किया है।

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