
नीतीश की चूक, मंच पर गूंजा ‘वाजपेयी
बिहार की सियासी जमीन हमेशा से ही चर्चाओं का केंद्र रही है, और इस बार फिर एक अनोखा वाकया सुर्खियों में है। सासाराम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसी चूक की, जिसने मंच पर मौजूद सभी को हंसने पर मजबूर कर दिया। नीतीश ने PM मोदी को धन्यवाद देते हुए गलती से उन्हें “हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी” कह डाला। इस भूल ने न केवल सभा में ठहाके लगवाए, बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह घटना मजाक और चर्चा का विषय बन गई। आइए, इस सियासी गलती और इसके पीछे की कहानी को गहराई से जानते हैं, जो बिहार की रैली को यादगार बना गई।
“वाजपेयी या मोदी?”: नीतीश की भूल ने मचाया हंगामा
30 मई, 2025 को सासाराम में PM नरेंद्र मोदी की रैली बिहार में एक बड़े सियासी आयोजन का हिस्सा थी। यह रैली PM के बिहार दौरे का दूसरा दिन थी, जहां वह कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने आए थे। मंच पर नीतीश कुमार, जो बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख हैं, PM मोदी को धन्यवाद देने के लिए बोल रहे थे। लेकिन, अपनी बात रखते हुए उन्होंने गलती से कहा, “हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी ने…”। यह सुनते ही मंच पर मौजूद लोग ठहाके मारकर हंस पड़े। नीतीश ने तुरंत अपनी गलती सुधारी और “सॉरी, सॉरी, नरेंद्र मोदी जी” कहकर बात को संभाला। इस पल ने न केवल रैली को हल्का-फुल्का बना दिया, बल्कि यह सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया।
मंच पर हंसी का माहौल
नीतीश की इस चूक ने मंच पर एक अनोखा माहौल बना दिया। PM मोदी, जो नीतीश के बगल में बैठे थे, मुस्कुराते हुए नजर आए। नीतीश ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए न केवल माफी मांगी, बल्कि सभा में मौजूद लोगों से खड़े होकर PM मोदी को प्रणाम करने की अपील भी की। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने दावा किया कि नीतीश ने 30 सेकंड में 10 बार हाथ जोड़े, जो इस पल को और भी मजेदार बनाता है। यह घटना बिहार की सियासत में नीतीश के उस हल्के-फुल्के अंदाज को दर्शाती है, जो उनकी छवि को गंभीर सियासत के बीच भी अलग बनाता है।
नीतीश की चूक: एक बार फिर सुर्खियों में
यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार की कोई चूक सुर्खियां बनी हो। कुछ समय पहले उनका “गमला” वाला बयान भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। उस वाकये में नीतीश ने एक कार्यक्रम में गमले की तुलना किसी सियासी मुद्दे से की थी, जिसे लोगों ने मजाक का विषय बना लिया। इस बार की चूक ने भी लोगों को हंसने का मौका दिया। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, “नीतीश जी का स्टाइल ही अलग है। वाजपेयी जी को याद करके उन्होंने हमें भी पुराने दिनों में ले गया!” यह घटना नीतीश की सादगी और सहजता को दर्शाती है, जो उन्हें बिहार की जनता के बीच लोकप्रिय बनाती है।
सियासी मंच पर हल्का-फुल्का पल
नीतीश की इस गलती ने सियासी मंच को एक पल के लिए
हल्का-फुल्का बना दिया। PM मोदी की रैली में जहां विकास, नीतियों और सियासत की बातें हो रही थीं, वहां नीतीश की इस भूल ने सभी को हंसी का मौका दिया। कुछ लोग इसे नीतीश की उम्र और अनुभव से जोड़कर देख रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के समय से लेकर अब तक की सियासत को करीब से देखा है। एक यूजर ने टिप्पणी की, “नीतीश जी ने वाजपेयी जी का नाम लेकर पुरानी NDA की याद ताजा कर दी!” यह पल न केवल मजेदार था, बल्कि यह NDA गठबंधन की उस पुरानी सियासी एकता को भी याद दिलाता है, जिसमें नीतीश और वाजपेयी ने साथ काम किया था।
सोशल मीडिया पर मीम्स का तूफान
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स और मजेदार टिप्पणियों की बाढ़ आ गई। लोगों ने नीतीश की इस चूक को अलग-अलग अंदाज में पेश किया। एक यूजर ने लिखा, “नीतीश जी ने समय यात्रा कर ली, 2000 के दशक में पहुंच गए!” वहीं, कुछ ने इसे नीतीश की सादगी और सहजता का प्रतीक बताया। इस वाकये ने यह भी दिखाया कि बिहार की सियासत में नीतीश का अंदाज कितना अनोखा है। उनकी यह चूक न केवल रैली में मौजूद लोगों के लिए, बल्कि सोशल मीडिया पर भी मनोरंजन का विषय बन गई।
नीतीश और मोदी: सियासी दोस्ती की मिसाल
यह घटना नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच की सियासी दोस्ती को भी उजागर करती है। दोनों नेताओं ने लंबे समय तक NDA गठबंधन में साथ काम किया है, और नीतीश की यह चूक इस रिश्ते में एक हल्का-फुल्का पल जोड़ती है। PM मोदी ने इस गलती पर मुस्कुराकर इसे सहजता से लिया, जो उनकी और नीतीश की आपसी समझ को दर्शाता है। बिहार में NDA की मजबूत स्थिति और नीतीश की सियासी रणनीति ने हमेशा से ही विपक्ष को चुनौती दी है। यह पल उस गठबंधन की ताकत को भी दर्शाता है, जो हंसी-मजाक के बीच भी अपनी एकता को बनाए रखता है।
बिहार की सियासत में नीतीश का कद
नीतीश कुमार बिहार की सियासत में एक मजबूत स्तंभ हैं। उनकी सादगी, अनुभव और रणनीति ने उन्हें बिहार की जनता के बीच खास बनाया है। इस चूक ने भले ही लोगों को हंसने का मौका दिया, लेकिन यह उनकी लोकप्रियता को कम नहीं करता। नीतीश ने हमेशा से अपनी गलतियों को स्वीकार किया है, और इस बार भी उन्होंने तुरंत अपनी भूल सुधारी। यह उनकी सहजता और जनता से जुड़ाव को दर्शाता है। सासाराम की इस रैली में उनकी मौजूदगी ने यह भी दिखाया कि वह PM मोदी के साथ मिलकर बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
हंसी के बीच सियासत की गूंज
नीतीश कुमार की इस चूक ने सासाराम की रैली को एक यादगार पल दे दिया। “हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी” कहकर उन्होंने न केवल मंच पर हंसी की लहर दौड़ाई, बल्कि यह भी दिखाया कि सियासत में हल्के-फुल्के पल भी अपनी जगह रखते हैं। यह घटना नीतीश की सादगी, उनकी सहजता और बिहार की सियासत में उनके महत्व को उजागर करती है। सोशल मीडिया पर यह वाकया मीम्स और मजाक का विषय बना, लेकिन इसके पीछे नीतीश और मोदी की सियासी दोस्ती और NDA की एकता की कहानी भी छिपी है। यह पल बिहार की सियासत में एक हल्का-फुल्का, लेकिन यादगार अध्याय बन गया।