
ऐतिहासिक विजय की गाथा
उत्तर प्रदेश के बहराइच में आयोजित होने वाला शौर्य मेला राजा सुहेलदेव की वीरता और सालार गाजी पर उनकी ऐतिहासिक जीत का उत्सव है. यह मेला हर वर्ष हजारों लोगों को आकर्षित करता है और क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखता है. इस वर्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मेले में शामिल होने से इस आयोजन को विशेष महत्व मिल रहा है. शौर्य मेला न केवल ऐतिहासिक गौरव का प्रतीक है बल्कि यह लोगों को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ता है. यह आयोजन बहराइच की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूती प्रदान करता है.
11वीं शताब्दी में सालार गाजी के नेतृत्व में विदेशी आक्रांताओं ने भारत पर आक्रमण किया था. उस समय बहराइच के राजा सुहेलदेव ने अपनी रणनीति और साहस से आक्रांताओं को परास्त किया. उनकी इस विजय ने न केवल क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को भी बचाया. यह युद्ध भारतीय इतिहास में वीरता और देशभक्ति का प्रतीक बन गया. शौर्य मेला इस ऐतिहासिक घटना को स्मरण करने और नई पीढ़ी तक इसके महत्व को पहुंचाने का एक मंच है.
शौर्य मेला बहराइच में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक उत्सव का अनूठा संगम है. इस मेले में स्थानीय हस्तशिल्प प्रदर्शनियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम और ऐतिहासिक नाटक आयोजित किए जाते हैं. राजा सुहेलदेव के जीवन और उनकी वीरता पर आधारित प्रदर्शनियां मेले का मुख्य आकर्षण होती हैं. इसके अलावा पारंपरिक नृत्य, संगीत और स्थानीय खेल मेले को और रंगीन बनाते हैं. यह आयोजन लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का अवसर प्रदान करता है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति से इस वर्ष शौर्य मेले का महत्व कई गुना बढ़ गया है. उनके दौरे से मेले को व्यापक प्रचार मिलेगा और बहराइच के पर्यटन को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है. सरकार द्वारा इस तरह के आयोजनों को बढ़ावा देने से सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होता है. मेले के दौरान कुछ विकास परियोजनाओं की घोषणा की संभावना भी जताई जा रही है जो क्षेत्र के लिए लाभकारी होगी. यह मेला इतिहास, संस्कृति और सामाजिक एकता का प्रतीक है जो बहराइच की पहचान को नई ऊंचाइयों तक ले जाता है.