
डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को हाल ही में भारतीय सेना में डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटेजी) की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत अपनी रक्षा रणनीतियों को और मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है. राजीव घई, जो वर्तमान में डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के पद पर भी कार्यरत हैं, ने ऑपरेशन सिंदूर जैसी महत्वपूर्ण कार्रवाइयों में अपनी नेतृत्व क्षमता साबित की है. उनकी यह नई भूमिका युद्ध तैयारियों और रणनीतिक समन्वय के लिए अहम मानी जा रही है.
डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटेजी) का पद हाल ही में बनाया गया है और यह सेना के लिए रणनीतिक योजना और समन्वय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस भूमिका में राजीव घई को सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल बढ़ाने के साथ-साथ खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी दी गई है. यह पद भारत की रक्षा नीतियों को और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, खासकर तब जब क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रही हैं. उनकी नियुक्ति को रक्षा मंत्रालय ने भी एक रणनीतिक कदम बताया है.
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई का अनुभव युद्ध तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने DGMO के रूप में पाकिस्तान के साथ सीजफायर वार्ताओं में अहम भूमिका निभाई थी और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनकी रणनीतिक दक्षता की सराहना हुई थी. इस नई भूमिका में वे भारत की सैन्य रणनीतियों को और सटीक बनाने में योगदान देंगे. खासकर सीमा पर बढ़ते तनाव और आधुनिक युद्ध की जरूरतों को देखते हुए उनकी विशेषज्ञता सेना की ताकत को बढ़ाएगी. उनकी अगुवाई में भारतीय सेना के एयर डिफेंस सिस्टम और ऑपरेशनल रणनीतियों को और मजबूत किया जा रहा है.
राजीव घई को ऑपरेशन सिंदूर में उनकी उत्कृष्ट भूमिका के लिए उत्तम युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना और नौसेना के साथ समन्वय कर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था. उनकी रणनीतिक सोच और नेतृत्व ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया. अब डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के रूप में वे ऐसी रणनीतियों को और बड़े स्तर पर लागू करेंगे. उनकी यह जिम्मेदारी भारत की सैन्य तैयारियों को नई दिशा देगी, खासकर आधुनिक युद्ध प्रणालियों और तकनीकी उन्नति के क्षेत्र में.
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई की यह नई भूमिका भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने में सहायक होगी. क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों, जैसे सीमा पर तनाव और आतंकी गतिविधियों, को देखते हुए उनकी रणनीतिक दृष्टि महत्वपूर्ण साबित होगी. यह पद सेना के आधुनिकीकरण और तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय को बढ़ावा देगा. उनकी नियुक्ति से भारत की सैन्य रणनीतियां और युद्ध तैयारियां अधिक प्रभावी और त्वरित होंगी, जिससे देश की सुरक्षा और मजबूत होगी.