
मोदी ने कहा- भारत के प्रति उनका प्यार अविस्मरणीय
21 अप्रैल 2025 को पोप फ्रांसिस के निधन की खबर ने विश्व भर में शोक की लहर दौड़ा दी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए पोप फ्रांसिस को करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस का प्रतीक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के प्रति उनका विशेष प्रेम और स्नेह हमेशा याद रखा जाएगा। यह आलेख पीएम मोदी के बयान, उनके पोप फ्रांसिस के साथ संबंधों, और इस घटना के व्यापक प्रभाव को विस्तार से प्रस्तुत करता है, जो वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए कॉपीराइट-मुक्त है।
पीएम मोदी का शोक संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “परम पूज्य पोप फ्रांसिस के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ। दुख और स्मरण की इस घड़ी में, वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। पोप फ्रांसिस को दुनिया भर के लाखों लोग हमेशा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद रखेंगे। भारत के प्रति उनका विशेष प्रेम और हमारी संस्कृति के प्रति उनका स्नेह अविस्मरणीय रहेगा।”
मोदी ने आगे कहा कि पोप फ्रांसिस ने छोटी उम्र से ही अपने जीवन को मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। उनकी शिक्षाएं और कार्य, विशेष रूप से गरीबों और पीड़ितों के लिए उनकी करुणा, विश्व भर में प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

भारत और पोप फ्रांसिस का विशेष संबंध
पोप फ्रांसिस का भारत के साथ एक विशेष रिश्ता रहा है। 2019 में पीएम मोदी ने वेटिकन में उनसे मुलाकात की थी, जिसके बाद पोप फ्रांसिस ने भारत की सांस्कृतिक विविधता और जीवंत लोकतंत्र की प्रशंसा की। उन्होंने पीएम मोदी के निमंत्रण को “सबसे बड़ा उपहार” बताया था, जो भारत के प्रति उनके स्नेह को दर्शाता है। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने शांति, पर्यावरण संरक्षण, और वैश्विक एकता जैसे मुद्दों पर चर्चा की थी, जो दोनों पक्षों के साझा मूल्यों को उजागर करता है।
पोप फ्रांसिस ने भारत में कैथोलिक समुदाय को एकजुट करने और विभिन्न धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शिक्षाओं में सहिष्णुता, प्रेम, और सामाजिक समावेशन पर जोर था, जो भारतीय दर्शन के “वसुधैव कुटुंबकम” (विश्व एक परिवार है) के सिद्धांत के साथ मेल खाता है।
वैश्विक और भारतीय प्रतिक्रियाएं
पोप फ्रांसिस के निधन पर विश्व भर के नेताओं और धार्मिक संगठनों ने शोक व्यक्त किया। भारत में कैथोलिक समुदाय, जो देश की आबादी का लगभग 2% है, ने उनके निधन को एक अपूरणीय क्षति बताया। दिल्ली के आर्चबिशप अनिल काउटो ने कहा, “पोप फ्रांसिस हमारे लिए एक पिता की तरह थे। उनकी करुणा और गरीबों के प्रति प्रेम हमें हमेशा प्रेरित करेगा।”
सोशल मीडिया पर भी भारतीयों ने पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी। एक यूजर ने लिखा, “पोप फ्रांसिस ने भारत की आत्मा को समझा और हमें एकजुट रहने का संदेश दिया। उनका जाना हम सभी के लिए दुखद है।”
पोप फ्रांसिस की विरासत और भारत पर प्रभाव
पोप फ्रांसिस अपने प्रगतिशील विचारों और सामाजिक सुधारों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, गरीबी उन्मूलन, और विभिन्न धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए। भारत में उनकी शिक्षाओं ने विशेष रूप से युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया। उनके विश्व-पत्र लौदातो सी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत में कई पहलों को प्रेरणा दी, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत की लड़ाई के साथ संरेखित थी।
पीएम मोदी ने अपने संदेश में इस बात पर जोर दिया कि पोप फ्रांसिस ने उन लोगों में आशा की ज्योति जगाई, जो पीड़ा में थे। यह बयान भारत जैसे देश में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां सामाजिक और आर्थिक असमानताएं एक बड़ी चुनौती हैं।
भविष्य की संभावनाएं
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद कैथोलिक चर्च अब नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया में प्रवेश करेगा। यह प्रक्रिया, जिसे कॉन्क्लेव कहा जाता है, विश्व भर के कार्डिनल्स द्वारा सिस्टिन चैपल में आयोजित की जाएगी। भारत के कैथोलिक समुदाय को उम्मीद है कि नया पोप भी भारत के प्रति वही स्नेह और सम्मान बनाए रखेगा, जो पोप फ्रांसिस ने दिखाया।