
भारत ने अंतरिक्ष सुरक्षा और संभावित खतरों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारत ने पहली बार ‘अंतरिक्ष अभ्यास’ (Space Exercise) का आयोजन किया है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) भी शामिल हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य अंतरिक्ष में भारत की सुरक्षा को मजबूत करना और अंतरिक्ष में होने वाले खतरों से निपटने के लिए रक्षा तैयारियों को सुनिश्चित करना है।
क्यों हो रही ऐसी एक्सरसाइज?
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, अपनी तरह के पहले अभ्यास से अंतरिक्ष में राष्ट्रीय रणनीतिक उद्देश्यों को सुरक्षित करने और सैन्य अभियानों में भारत की अंतरिक्ष क्षमता को एकीकृत करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
इस अंतरिक्ष अभ्यास का उद्देश्य क्या हैं
अंतरिक्ष में खतरों का मूल्यांकन: यह अभ्यास भारत को अंतरिक्ष में मौजूद खतरों और चुनौतियों को समझने और उनके खिलाफ प्रभावी रणनीतियाँ बनाने में मदद करेगा। इसमें अंतरिक्ष से आने वाले मिसाइल हमले, जासूसी उपग्रहों और साइबर हमलों जैसे संभावित खतरों का विश्लेषण किया जाएगा।
सेना के विभिन्न विभागों का समन्वय: इस अभ्यास के माध्यम से भारत की थल, जल और वायु सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि अंतरिक्ष में किसी भी आपातकालीन स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दी जा सके।
तकनीकी सामर्थ्य का परीक्षण: ISRO और DRDO जैसे संगठनों के शामिल होने से अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों और उपकरणों की क्षमताओं का परीक्षण और मूल्यांकन भी किया जाएगा।
अंतरिक्ष में रणनीतिक मजबूती: भारत इस अभ्यास के जरिए अंतरिक्ष में अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए कदम उठा रहा है ताकि भविष्य में किसी भी अंतरिक्ष संघर्ष में आत्मनिर्भर और सुरक्षित रह सके।
अंतरिक्ष अभ्यास 2024 में कौन-कौन हिस्सा ले रहा है?
सेना के अधिकारियों के साथ-साथ डिफेंस स्पेस एजेंसी और उससे जुड़ी इकाइयों के अधिकारी ‘अंतरिक्ष अभ्यास 2024’ में हिस्सा ले रहे हैँ. हेडक्वार्टर्स इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के मातहत आने वाली स्पेशलिस्ट शाखाएं जैसे डिफेंस साइबर एजेंसी, डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी और स्ट्रैटीजिक फोर्सेज कमांड भी इस अभ्यास में सक्रिय रूप से भागीदारी करेंगे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के प्रतिनिधि भी ‘अंतरिक्ष अभ्यास 2024’ में हिस्सा लेंगे.
इस अभ्यास का महत्व क्या हैं
अंतरिक्ष में भारत की सुरक्षा: आज के समय में अंतरिक्ष एक रणनीतिक क्षेत्र बन चुका है, जहाँ बड़ी शक्तियाँ अपने उपग्रहों के माध्यम से खुफिया जानकारी एकत्र करती हैं और अन्य देशों की गतिविधियों पर नजर रखती हैं। यह अभ्यास भारत की अंतरिक्ष सुरक्षा को मजबूती देने में मदद करेगा।
चीन और अन्य अंतरिक्ष ताकतों से प्रतिस्पर्धा: इस अभ्यास के जरिए भारत अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति को मजबूत करेगा और अपने पड़ोसी देशों, जैसे चीन के साथ अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता को बढ़ाएगा।
स्वदेशी अंतरिक्ष तकनीक: ISRO और DRDO जैसे संगठनों के सहयोग से भारत को स्वदेशी तकनीकों का परीक्षण करने और उन्हें अंतरिक्ष सुरक्षा में उपयोग करने का अवसर मिलेगा। भविष्य के युद्धों की तैयारी: अंतरिक्ष आज केवल विज्ञान के लिए नहीं बल्कि रक्षा और सामरिक महत्व के लिए भी अहम बन चुका है। यह अभ्यास भविष्य के संभावित युद्धों के लिए भारत की तैयारियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इस अंतरिक्ष अभ्यास से भारत ने अंतरिक्ष में अपनी सुरक्षा को लेकर एक ठोस कदम उठाया है, जिससे वह आने वाले समय में किसी भी अंतरिक्ष संकट या चुनौती से निपटने के लिए बेहतर तैयार हो सकेगा।