जाट फिल्म से विवादित सीन हटाने का फैसला

जालंधर में सनी देओल-रणदीप हुड्डा के खिलाफ FIR के बाद कार्रवाई

ईसाई समुदाय की भावनाएं आहत होने का आरोप

सनी देओल और रणदीप हुड्डा अभिनीत फिल्म ‘जाट’ को लेकर चल रहा विवाद अब और गहरा गया है। पंजाब के जालंधर में ईसाई समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में फिल्म के एक सीन के खिलाफ तीखा विरोध प्रदर्शन हुआ। इसके बाद जालंधर पुलिस ने सनी देओल, रणदीप हुड्डा, सह-कलाकार विनीत कुमार, निर्देशक गोपीचंद, और निर्माता नवीन मालिनेनी के खिलाफ FIR दर्ज की। विवाद बढ़ने के बाद फिल्म निर्माताओं ने विवादित सीन को हटाने का फैसला लिया, जिससे मामला शांत करने की कोशिश की जा रही है। यह घटना बॉलीवुड में धार्मिक संवेदनशीलता और सिनेमा के बीच टकराव का एक और उदाहरण बन गई है।


विवाद की वजह
फिल्म ‘जाट’ के एक सीन में कथित तौर पर ईसाई धर्म से जुड़े प्रतीकों और मान्यताओं का अनादर किया गया था, जिसे स्थानीय ईसाई समुदाय ने आपत्तिजनक माना। जालंधर में ईसाई संगठनों ने इस सीन के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह सीन उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है और सामुदायिक सौहार्द को बिगाड़ सकता है।
विरोध के बाद स्थानीय पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की। जालंधर के एक थाने में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई। इस FIR में फिल्म के प्रमुख अभिनेता सनी देओल और रणदीप हुड्डा के साथ-साथ अन्य क्रू मेंबर्स को भी आरोपी बनाया गया।
निर्माताओं की प्रतिक्रिया
विवाद बढ़ने और FIR दर्ज होने के बाद फिल्म के निर्माताओं ने त्वरित कदम उठाते हुए विवादित सीन को फिल्म से हटाने का ऐलान किया। निर्माता नवीन मालिनेनी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, “हमारा इरादा किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। हम ईसाई समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हैं और विवादित सीन को तुरंत हटा रहे हैं। हम इस मामले में सहयोग के लिए तैयार हैं और शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।”
निर्देशक गोपीचंद ने भी इस मुद्दे पर खेद जताया और कहा कि फिल्म का उद्देश्य मनोरंजन करना था, न कि किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करना। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सेंसर बोर्ड के साथ मिलकर वह यह सुनिश्चित करेंगे कि फिल्म के सभी दृश्य सभी समुदायों के लिए स्वीकार्य हों।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
जालंधर पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे सभी सबूतों की जांच करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कानून का पालन हो। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमने FIR दर्ज कर ली है और मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है। हम सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।” पुलिस ने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारियों से बातचीत की जा रही है ताकि स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके।
ईसाई समुदाय का रुख
जालंधर के ईसाई समुदाय के नेताओं ने निर्माताओं के सीन हटाने के फैसले का स्वागत किया, लेकिन कुछ संगठनों ने मांग की कि फिल्म के खिलाफ पूरी तरह कार्रवाई हो और इसे रिलीज होने से रोका जाए। एक स्थानीय पादरी ने कहा, “हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला यह सीन हटाया जाना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन हम चाहते हैं कि भविष्य में इस तरह की गलतियां न हों। फिल्म निर्माताओं को धार्मिक संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए।”
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने सोशल मीडिया पर व्यापक बहस छेड़ दी है। कई लोगों ने फिल्म निर्माताओं की आलोचना की और इसे “प्रोपेगेंडा सिनेमा” का हिस्सा बताया। एक X यूजर ने लिखा, “बॉलीवुड अब सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को बांटने का जरिया बन रहा है। धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना सीखना होगा।”
वहीं, कुछ यूजर्स ने सनी देओल और रणदीप हुड्डा का बचाव करते हुए कहा कि अभिनेताओं को केवल उनके किरदार निभाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। एक अन्य यूजर ने लिखा, “यह सेंसर बोर्ड की जिम्मेदारी थी कि वह इस सीन को पहले ही हटा देता। अभिनेताओं को निशाना बनाना गलत है।”
राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। पंजाब में विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधा और मांग की कि धार्मिक सौहार्द बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “यह घटना दिखाती है कि सिनेमा में सावधानी बरतने की जरूरत है। सरकार को सेंसर बोर्ड को और जवाबदेह बनाना चाहिए।”
बॉलीवुड में धार्मिक विवादों का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब किसी बॉलीवुड फिल्म को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में विवाद का सामना करना पड़ा हो। हाल के वर्षों में “पद्मावत”, “तांडव”, और “लाल सिंह चड्ढा” जैसी फिल्मों और वेब सीरीज को भी इसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि सिनेमा में धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को लेकर निर्माताओं को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।
एक फिल्म समीक्षक ने कहा, “बॉलीवुड को यह समझना होगा कि भारत जैसे विविध देश में हर समुदाय की भावनाओं का सम्मान करना जरूरी है। सेंसर बोर्ड को भी अपनी भूमिका को और गंभीरता से निभाना चाहिए ताकि इस तरह के विवादों को पहले ही रोका जा सके।”
आगे की राह
फिल्म ‘जाट’ के निर्माताओं ने सीन हटाने का फैसला तो ले लिया है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या यह कदम विरोध को पूरी तरह शांत कर पाएगा। पुलिस की जांच और सेंसर बोर्ड की समीक्षा के बाद फिल्म की रिलीज पर भी असर पड़ सकता है। सनी देओल और रणदीप हुड्डा ने अभी तक इस मामले पर कोई व्यक्तिगत बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके प्रशंसक उनके समर्थन में सामने आए हैं।

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